जानिए , गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों से संबंधित जानकारी
गन्ने की खेती एक ऐसी खेती है जो प्रतिवर्ष मुनाफे में वृद्धि करती हैं।गन्ने की खेती को वर्ष भर साधनों की उपलब्धता और मजदूरों की उपलब्धता से उचित तकनीक द्वारा सरलता से की जा सकती हैं।गन्ने की खेती करने वाले किसान अप्रैल से जून तक के माह में अपने गन्ने की फसल की देखभाल विशेष रूप से करें क्योंकि इस समय गन्ने की फसल में रोग लगने की संभावना अधिक होती हैं।इस समय गन्ने में ब्लैक बग (काला चिटका) कीट लगने की अधिकतम संभावना रहती हैं।यदि गन्ने की खेती करने वाले किसान भाई यदि इसके प्रति जागरूक रहे तब प्रारंभिक अवस्था में ही इस कीट से फसल को बचाया जा सकता हैं।ब्लैक बग(काला चिटका)कीट गन्ने की फसल में लगने वाला ऐसा कीट हैं जिसका समय पर नियंत्रण होना आवश्यक हैं अन्यथा पूरी फसल नष्ट हो सकती हैं।इसके लिए जरूरी हैं कि किसान भाई समय पर इस कीट पर नियंत्रण करके फसल को नुकसान से बचाए।गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों और उनके बचाव के उपाय के बारे में किसान भाइयों को जानकारी होना आवश्यक हैं।आइए , मीडिया 1 द्वारा गन्ने की फसल में लगने वाले ब्लैक बग(काला चिटका)कीट और बचाव के उपायों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
ब्लैक बग(काला चिटका) कीट क्या हैं??
गन्ने की फसल में लगने वाला ब्लैक बग(काला चिटका) कीट गन्ने की पेड़ी पर ज्यादा आक्रामक रहता हैं।ब्लैक बग(काला चिटका) कीट गन्ने के पौधे की पत्तियों का रस चूसता हैं।कीट द्वारा पत्तियों का रस चूसने से फसल पीली दिखाई देने लगती हैं।इस कीट के प्रकोप से उपज में 10% से 15% तक की कमी आ जाती हैं।
गन्ने की फसल को ब्लैक बग(काला चिटका) कीट से बचाव के उपाय
गन्ने के जिस खेत में फसलों पर ब्लैक बग(काला चिटका) कीट का प्रकोप हो वहां कीट पर नियंत्रण के लिए रायायनिक कीटनाशक का प्रयोग करें-
•ब्लैक बग(काला चिटका) कीट से बचाव के लिए प्रति हैक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में क्लोरपाइरीफास 20% E.C. की
1.5 लीटर मात्रा के घोल का छिड़काव करें।
•ब्लैक बग(काला चिटका) कीट से बचाव के लिए प्रति हैक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में क्यूनालफास की 25% E.C. की 1.5 लीटर मात्रा के घोल का छिड़काव करें।
•इसके अतिरिक्त गन्ना किसान प्रति हैक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी में वर्टिसिलियम लैकानी 1.15% W.P. की 2.5 किग्रा मात्रा के घोल का छिड़काव शाम के समय 15 दिन के अंतराल में करें।
गन्ने की फसल में कडुआ रोग के प्रकोप की भी संभावना
गन्ने की फसल में काला चिटका (ब्लैक बग) कीट के अतिरिक्त कडुआ रोग(चाबुक कडुआ) के प्रकोप की भी संभावना बनी रहती हैं।गन्ने की फसल में कडुआ रोग(चाबुक कडुआ) का प्रकोप अप्रैल से मई माह तक रहता हैं।गन्ना किसानों को गन्ने के इस रोग से संबंधित जानकारी होना आवश्यक हैं ताकि समय पर नियंत्रण करके फसल में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) क्या हैं??
गन्ने की फसल में लगने वाला कडुआ रोग (चाबुक कडुआ)का प्रकोप पेड़ी गन्ने की फसल पर अधिक होता हैं।कडुआ रोग (चाबुक कडुआ)के प्रकोप से गन्ने की पत्तियां नुकीली , पतली और पोरिया लंबी हो जाती हैं।इस रोग से ग्रस्त गन्नों में लंबे या छोटे काले कोड़े निकल आते हैं जिन पर कवक के अनगिनत बीजाणु स्थित होते हैं।
गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के उपाय
गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए में रोग से प्रभावित खेत में कम से कम 1 वर्ष तक गन्ने की बुवाई नहीं करना चाहिए।
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए गन्ना किसान गन्ने की रोग प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें।बुवाई के लिए स्वस्थ और रोग रहित गन्ने के खेतों के बीजों का प्रयोग करें।
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए यदि रोग का प्रकोप अधिक हो तब रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें।इसके लिए बुवाई से पूर्व प्रति हैक्टेयर गन्ने के 50 क्विंटल बीजों को M.E.M.C. 6% की 830 ग्राम मात्रा से उपचारित करके बुवाई करें।
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि जल भराव की समस्या ना हो सके।
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए रोगी थान का समूल उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए जिससे स्वस्थ गन्नों में फिर से संक्रमण न हो सके।
•गन्ने की फसल को कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) से बचाव के लिए रोग से प्रभावित खेत में कटाई के पश्चात् पत्तियों और ठूंठ को पूर्ण रूप से जलाकर नष्ट कर देना चाहिए और खेत की गहरी जुताई करना चाहिए।