चेरी की खेती फलों की खेती में आने वाली खेती में एक विशेष फसल है। चेरी की खेती के लिए अच्छी सिंचाई सुविधा और ठंडी जलवायु होना जरूरी है इसलिए चेरी की खेती हमारे देश के ठंडे क्षेत्रों में बहुत होती है। चेरी की खेती से किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं।चेरी के उपयोग भी बहुत सारे हैं जैसे चेहरे को खाने में फल के रूप में उपयोग किया जाता है इसके साथ चेहरे का शरबत , चेरी का जाम , तेरी की चटनी , केक और शराब बनाने में किया जाता हैचेरी की खेती से किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इन्हीं वजह से बाजार में चेरी की मांग बहुत है क्योंकि चेहरे से कमाई इसकी गुणवत्ता इसके उत्पादन क्षमता पर भी निर्भर करती है।
जानिए इन टॉप 5 फल के बारे में और इनसे कैसे पाए मुनाफा ??
वर्तमान में किसान पारंपरिक खेती के साथ बागवानी फसल और अन्य औषधि फसल की खेती करना भी पसंद कर रहा है। आज के इस दौर में किसान बाजार के मांग के अनुसार ऐसी फसल की खेती करना चाहते हैं जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त हो। अब किसान पारंपरिक खेती से हटकर कुछ अन्य खेती की ओर अग्रसर हो रहा है। किसान बागवानी खेती के अंतर्गत मसालों की खेती और फलों की खेती विशेष रुप से करता है क्योंकि इन फसलों की मांग बाजार में बहुत होती है और इनमें सब्सिडी भी मिल जाती है इसलिए किसान भाई कम लागत वाली फसल की ओर ज्यादा ध्यान देना पसंद करते है। फलों की खेती के अंतर्गत हम उन टॉप 5 फलों की खेती के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे मिल सकती है बंपर कमाई।ये 5 फलों की खेती इस प्रकार है
(1) चेरी की खेती
उत्पादन – चेरी की खेती में उत्पादन की बात करें तो प्रति एकड़ में इसके 50 से 60 पेड़ लगते हैं और हमें प्रति पेड़ 20 से 30 किलोग्राम फल मिल जाते हैं।
कमाई – चेरी की फसल का बाजार में थोक भाव किलो 90 से ₹110 है। इस तरह से देखा जाए तो इससे वर्ष में ₹300000 तक की आमदनी किसान भाई को मिल जाती है।
(2) नाशपाती की खेती
नाशपाती की खेती से भी किसान काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। नाशपाती कई रूप में उपयोगी है नाशपाती का फल खाने के साथ ही यह उस ग्रुप में भी उपयोगी साबित होती है। पति का उपयोग पाचन तंत्र को सही करने और ब्लड प्रेशर के नियंत्रण में सहायक है। नाशपाती का उपयोग मिठाई बनाने में भी किया जाता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में खनिज लवण और विटामिन पाया जाता है तथा यह स्वाद में मिठास से परिपूर्ण होती हैं। नाशपाती का फल ज्यादातर मिट्टियों के लिए उपयुक्त तुम्हें इसकी खेती उष्णकटिबंधीय मिट्टी में अधिक होती है। नाशपाती की खेती में खेत को तैयार करना , रोपण , सिंचाई , खाद और उर्वरक के प्रयोग के साथ कटाई आदि प्रक्रिया आती है। पति के पौधे को बोलने के लिए मार्च-अप्रैल का माह उपयुक्त माना जाता है इसके पौधे की नियमित सिंचाई भी की जानी चाहिए और तापमान की बात करें तो इसको बोने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है ।नाशपाती की खेती में मिट्टी के हिसाब से रासायनिक और जैविक दोनों खाद का प्रयोग किया जाता है।
उत्पादन – नाशपाती के उत्पादन के बात करे तो नाशपाती से प्रति एकड़ 10 टन का उत्पादन प्राप्त होता है।
कमाई – नाशपाती की खेती में कमाई के बात करें तो यह बात नाशपाती के उत्पादन और बाजार मांग पर निर्भर करती है। नाशपाती की खेती से प्रति एकड़ 5 लाख से ₹6 लाख तक की आमदनी प्राप्त हो जाती हैं।
(3) सेब की खेती
फलों की खेती में सेब की खेती एक बेहतरीन खेती है। ठंडे प्रदेशों में सेव की खेती की जाती है यदि ठंडे प्रदेशों में इसकी खेती करना चाहते हैं तो सेब की खेती कारगर साबित होती है।सेब की खेती उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश , जम्मू और कश्मीर राज्य में मुख्य रूप से की जाती हैं। इसके अलावा ठंड के मौसम में उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में भी सेब की खेती की जाती है। सेब का उपयोग कई जगह किया जाता है। सेब खाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है क्योंकि सेब रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मरीजों को सेब खाने की सलाह दी जाती है सेब का धार्मिक रूप जैसे पूजा-पाठ और भोग लगाने आदि में उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि वर्ष भर सेव की मांग बनी रहती है। सेब की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु का ध्यान रखना चाहिए। सेव की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। व्हाट्सएप की खेती के लिए तापमान की बात करें तो 15°C से 20°C तक का तापमान सेब की खेती के लिए उचित होता है। और बुवाई के लिए बीजों को बोते समय आपसे दूरी 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
उत्पादन – 1 एकड़ भूमि पर सेब के लगभग 400 पौधे लगाए जाते हैं।जलवायू और किस्म के आधार पर एक उचित रुप से तैयार बगीचा लगभग औसत के अनुसार 1 वर्ष में 1 पेड़ से लगभग 10 से 20 किलोग्राम उत्पादन देता हैं।
कमाई – सेब की खेती में कमाई बाजार की मांग और उत्पादन पर निर्भर करती है।सामान्य रुप से सेब का बाजार मूल्य लगभग प्रति किलो 100 से 150 रुपए तक होता हैं। सेब की खेती से प्रतिवर्ष प्रति एकड़ 8 से 10 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।
(4) खुबानी की खेती
खुबानी एक ऐसा फल है जिसका उपयोग औषधि और खाद्य दोनों में किया जाता है। खुबानी की खेती का विशेष महत्व है। खुबानी की खेती के लिए बीजों को विशेष बागवानी से खरीदना चाहिए। खुबानी की खेती के लिए जलवायु समशीतोष्ण शीतोष्ण होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए मिट्टी के बात करें तो मिट्टी का PH मान 6.0 से 6.5 के मध्य होना चाहिए।
उत्पादन – खुबानी की खेती से किसान भाई को प्रति हेक्टेयर 6 से 8 टन उपज मिल जाती है।
कमाई – खुबानी की खेती से किसान भाई प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 3 से ₹4लाख की कमाई कर सकते हैं।
(5) आड़ू की खेती
आड़ू एक ऐसा फल है जो स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।आड़ू की खेती उत्तर प्रदेश , हिमाचल प्रदेश , जम्मू और कश्मीर में विशेष रूप से होती है। इसकी खेती की प्रक्रिया में मिट्टी का चयन , अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन , रोपण आदि आते हैं।स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है।आड़ू की खेती के लिए तापमान मध्यम होना चाहिए।मिट्टी की जांच के अनुसार बुवाई करें।
उत्पादन – आड़ू से प्रति वृक्ष 8 से 10 किलोग्राम फल प्राप्त हो जाते हैं।
कमाई – आड़ू की खेती से कमाई बाजार मांग , उत्पादन , मात्रा और गुणवत्ता पर निर्भर करती हैं। आड़ू की खेती से किसान भाई प्रति एकड़ 4 से 5 लाख रुपए तक की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।