सौंफ की खेती के बारे में जानिए , किसान भाई सौंफ की खेती से बढ़ाए अपनी आमदनी

Rahul Patidar
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सौंफ की खेती की ट्रेनिंग की जानकारी

भारत सरकार द्वारा किसानों को खेती के क्षेत्र में आगे बढ़ने और उनकी आय में वृद्धि करने के लिए भिन्न – भिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों के द्वारा किसानों के लिए खेती से संबंधित विभिन्न योजनाएं संचालित है। बागवानी फसल एवं व्यापारिक फसल ऐसी विभिन्न फसलों की खेती के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी स्तर पर सौंफ की खेती के बारे में हम जानेंगे। सौंफ का प्रयोग हम दैनिक जीवन में मसाले के रूप में करते हैं। सौंफ की खेती को कैसे किया जाए और सौंफ की खेती की तकनीक आदि की संपूर्ण जानकारी किसान भाई को प्राप्त हो इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है।
हमारे देश में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश , आंध्र प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , कर्नाटक , पंजाब और हरियाणा राज्य में सौंफ की खेती की जाती हैं किंतु वर्तमान में बिहार का भी नाम सौंफ की खेती के लिए जोड़ा गया है।बिहार जिले को सौंफ की खेती के लिए चयनित किया गया है इसीलिए बिहार राज्य के किसानों को सौंफ की खेती की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि किसान बेहतर विधि और उचित तरीकों से सौंफ की खेती कर अपनी आय में वृद्धि कर सकें। क्योंकि शॉप का इस्तेमाल दैनिक जीवन में मसाले के रूप में होता है साथ ही इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवा और मुंह फ्रेशनर में भी होता हैं।

बिहार के बेगूसराय जिले में सौंफ की खेती का परीक्षण

हमारे देश के कई राज्यों में सौंफ की खेती की जाती है अब बिहार का भी नाम इन राज्यों की सूची में जुड़ गया है इसी स्तर पर बेगूसराय जिला जो कि बिहार में आता है इस जिले को सौंफ की खेती के लिए चयनित किया गया है। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि बेगूसराय की जो मिट्टी है वह सौंफ के लिए उपयुक्त है इसलिए बेगूसराय जिले में परीक्षण के लिए सौंफ की खेती की जाएगी। यहां सौंफ की खेती के बारे में जानिए , किसान भाई सौंफ की खेती से बढ़ाए अपनी आमदनी के लिए सौंफ की राजेंद्र सौरभ किस्म को बोया गया है जो परीक्षण के दौरान सफल हुआ। इसी क्रम में सौंफ का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान भाई को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

सौंफ की खेती की प्रशिक्षण के बारे में जानिए

सौंफ की खेती के लिए ट्रेनिंग कहां से ली जाए इसके बारे में जानेंगे। जो किसान भाई सौंफ की खेती करने के लिए इच्छुक है उनके लिए कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल के अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर जो बिहार राज्य में आता हैं इस केंद्र पर सौंफ की खेती की जानकारी प्राप्त की जा सकती है और साथ ही प्रशिक्षण भी ले सकते हैं । सौंफ की खेती उचित तरीके से करके अच्छी कमाई प्राप्त की जा सकती है।

सौंफ कैसे हैं कमाई का जरिया??

सौंफ की खेती यदि उचित तकनीक और सही ढंग से की जाए तो इससे काफी अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सौंफ की खेती में लागत की बात करें तो लगभग ₹80000 प्रति हेक्टेयर की लागत और सौंफ का उत्पादन 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता हैं तथा लगभग₹200000प्रति हैक्टेयर का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सौंफ की NRCSSAF 1 किस्म से लगभग 19 से 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर का उत्पादन प्राप्त होता हैं।

आइए , सौंफ में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में चर्चा करें

सौंफ एक मसाला फसल है जो प्रत्येक घर में मसाले के रूप में उपयोग होती है साथी इसका उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है सौंफ से पाचन चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक दवा बनाई जाती है जैसे सौंफ का शरबत और सौंफ का अर्क जो पाचन में सहायक होता हैं। सौंफ को कच्चा भी खाया जा सकता है और भूनकर भी खाया जा सकता है। सौंफ का उपयोग मसाले में सब्जी और अचार आदि बनाने में किया जाता है। सौंफ को माउथ फ्रेशनर के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि इससे मुंह की दुर्गंध समाप्त हो जाती हैं। शॉप पेट के लिए भी फायदेमंद होती है सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसका सेवन शरीर की गर्मी को कम करने में सहायक होता किंतु सीमित मात्रा में ही सौंफ का प्रयोग करना चाहिए अधिक सेवन से शरीर को हानि होती है।
सौंफ में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।सौंफ के बीज में मौजूद पोषक तत्व जिंक , मैग्नीज , कॉपर , फास्फोरस , विटामिन C , विटामिन E और विटामिन K हैं।

सौंफ की खेती के लिए मिट्टी और तापमान कैसा होना चाहिए??

सौंफ की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है किंतु मिट्टी रेतीली नही होनी चाहिए। मिट्टी का PH मान 6.6 से 8.0 के मध्य हों।
सौंफ की फसल के लिए 20°C से 30°C तक का तापमान होना चाहिए।

सौंफ की रोपाई की प्रक्रिया

सौंफ की खेती के लिए पहले खेत तैयार करें। खेत को समतल बनाने के लिए अच्छी तरह से खेत की जुताई करें। खेत में पंक्तियां बनाकर उसमें बीजों को बोना आरंभ करें। सोप के बीजों की बुवाई के 7 से 8 सप्ताह के पश्चात इसके पौधों की खेत में रोपाई करनी चाहिए। सौंफ के पौधों की रोपाई हमेशा एक लाइन में करें। इसमें दूरी का विशेष ध्यान रखें। पंक्ति की आपसी दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधों की आपसी दूरी 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए।इसकी खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप या फव्वारा विधि का प्रयोग किया जाता है

खाद और उर्वरक का प्रयोग

सौंफ की खेती के लिए जैविक खाद का प्रयोग भी किया जा सकता है। खाद और उर्वरक का प्रयोग मिट्टी के अनुसार निश्चित मात्रा में करना चाहिए। इसकी खेती में रासायनिक खाद के रूप में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम फास्फोरस और भी किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है। इस मात्रा में नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस की पूरी मात्रा बोने के समय प्रयोग की जानी चाहिए और बची हुई मात्रा का प्रयोग 1 और 2 माह के अंतराल में करना चाहिए।

सौंफ की बाजार मांग

सौंफ की बाजार में मांग भी बहुत है और और इसी वजह से सौंफ की खेती को मुनाफा देने वाली खेती माना जाता है। सौंफ को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है जो प्रत्येक घर में उपयोग होता है। साथ ही सौंफ का उपयोग आयुर्वेदिक दवाई बनाने में भी किया जाता है और सौंफ को माउथ फ्रेशनर के रूप में भी उपयोग किया जाता है इन्हीं कारणों से वर्षभर सौंफ की मांग बाजार में बनी रहती है ।बेहतर तरीकों के उपयोग से सौंफ की खेती से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है।

सौंफ की बाजार भाव

सौंफ की बाजार में भाव की बात करें तो विभिन्न मंडियों में शॉप के भाव भी भिन्न-भिन्न है। किसान भाई सौंफ की खेती से पूर्व क्रय और विक्रय के लिए स्थानीय मंडी और अन्य मंडी में इसकी कीमत को जान लें वर्तमान में सौंफ का मंडियों में भाव प्रति क्विंटल 17000 से ₹25000 है। बेस्ट क्वालिटी की सौंफ की कीमत लगभग प्रति क्विंटल ₹33000 तक है।

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