सीताफल की खेती से करें अच्छी कमाई , जानिए खेती का तरीका
सीताफल को शरीफा के नाम से भी जाना जाता है। सीताफल स्वाद में अत्यंत मीठा और स्वादिष्ट होता है। वर्तमान में बागवानी फसल पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और साथ ही इसमें सब्सिडी भी मिल जाती है । सीताफल की बागवानी फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है सीताफल कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है इसलिए इसकी खेती पर ध्यान दिया जाता है ।सीताफल में पाए जाने वाले खनिज लवण और विटामिन के कारण इसकी बाजार में मांग ज्यादा रहती है। सीताफल में चीनी भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है जिस कारण सीताफल का उपयोग आइसक्रीम , शरबत , मिठाई और वाइन बनाने में करते हैं। किसान भाई सीताफल से काफी मुनाफा कमा सकते हैं।
आइए , सीताफल में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में चर्चा करें
सीताफल एक ऐसा फल है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को सही बनाने में , हृदय को मजबूत बनाने में और पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है। यह शरीर में हानिकारक रसायन से बचाने में भी मदद करता है। जब महिला गर्भवती होती है तब डॉक्टर उन्हें सीताफल खाने की सलाह देते क्योंकि यह गर्व स्त्राव को कम करता है। साथ ही यह एनीमिया को दूर करने , बालों को मजबूत बनाने , ब्लड प्रेशर नियंत्रण शरीर की कमजोरी को दूर करने में सहायक होता है।
सीताफल की बुवाई कब करनी चाहिए??
सीताफल की बुवाई वर्ष में दो बार की जा सकती है । इसके लिए समय वर्ष में जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च का समय उचित रहता है।
सीताफल की बुवाई की क्या हैं प्रक्रिया??
सीताफल की बुवाई की प्रक्रिया के बारे में जानना भी जरूरी है।
सीताफल की बुवाई से पूर्व यह ध्यान रखें कि इसमें सीताफल की बुवाई के पहले गड्ढा खोदे जिसके लिए लंबाई 60 सेंटीमीटर , चौड़ाई 60 सेंटीमीटर और गहराई 60 सेंटीमीटर रखें। गड्ढा खोदने के बाद इसे लगभग 15 से 20 दिन तक खुला ही छोड़ें और इसके पश्चात् सड़ी खाद 5 से 10 किलोग्राम और NPK 50 ग्राम इन गड्ढों में डाल दें फिर इन गड्ढों में तीन से चार दिन तक सिंचाई करें और तत्पश्चात गड्ढों में बीजों को बोए।
सीताफल की बुवाई पॉलिथीन में करना उचित रहता है के लिए पॉलिथीन ले और उसमें मिट्टी भरकर सीताफल के बीज डाल दे और इस पॉलिथीन को जमीन में डाल दें कुछ समय पश्चात जब पौधे जमने लगे तो पॉलिथीन को हटा दें।
सीताफल की खेती में मिट्टी का निर्धारण
सीताफल की खेती के लिए मिट्टी की बात करें तो सीताफल की खेती सभी प्रकार की अच्छी जल निकास वाली मिट्टी में की जा सकती है सीताफल के लिए उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी है। मिट्टी का PH मान 5.5 से 7 के मध्य हों। कमजोर और पथरीली भूमि पर भी सीताफल का उत्पादन अच्छा होता है।
सीताफल की खेती में जलवायु का निर्धारण
सीताफल की खेती में जलवायु का ध्यान रखा जाना है अभी बेहद जरूरी होता है। ठंडी क्षेत्र में सीताफल की खेती सही तरीके से नहीं हो पाती है ऐसी जगह जहां ज्यादा ठंड हो और पालक गिरता हो वहां सीताफल की खेती सही से नहीं हो पाती इसलिए सीताफल की खेती के लिए गर्म और हल्की शुष्क जलवायु बेहतर साबित होती है।
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कैसे करें ??
सीताफल की बागवानी में उत्पादन की बात करें तो सीताफल का उत्पादन सालाना होता है। अच्छे उत्पादन के लिए सीताफल की खेती में उपयुक्त मात्रा में जैविक खाद , रसायनिक खाद और गोबर की खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए हमें खाद की मात्रा का ध्यान होना भी जरूरी है और साथ ही मिट्टी और फसल के अनुसार ही खाद देना चाहिए।इसके लिए सीताफल में 40 ग्राम नाइट्रोजन , 60 ग्राम फास्फोरस , 60 ग्राम पोटाश और 20 से 22 किलोग्राम जैविक खाद प्रतिवर्ष प्रत्येक पेड़ को दिया जाना चाहिए।
सिंचाई का तरीका जानिए
सीताफल की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई या फव्वारा सिंचाई अच्छी मानी जाती हैं। 15 दिन के अंतराल में सीताफल की सिंचाई करें और गर्मी के मौसम में आवश्यकता के अनुसार सीताफल की बराबर सिंचाई होनी चाहिए।
किसान भाई सीताफल से पाए भरपुर उत्पादन
किसान भाई सीताफल से भरपूर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं । जब सीताफल का पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है तब सीताफल के पौधों से प्रत्येक वर्ष 100 फल का उत्पादन प्राप्त किया जाता है अर्थात् प्रत्येक पेड़ से 50 किलोग्राम का उत्पादन प्राप्त होता हैं।
सीताफल से पाए मुनाफा
सीताफल की खेती से होने वाले लाभ की बात की जाए तो सीताफल की बागवानी में 400 से 450 पौधे 1 एकड़ भूमि में लगाए जा सकते हैं जिससे सीताफल से सालाना 30 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है और प्रत्येक साल 1 लाख से डेढ़ लाख तक का लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं।