सितंबर में करें इन सब्जियों की खेती और पाएं भरपूर मुनाफा

Rahul Patidar
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किसान भाई इस बात पर विशेष ध्यान दें सितंबर में करें इन सब्जियों की खेती और पाए भरपूर पैदावार और लाभ
सितंबर के माह में सब्जियों से इस प्रकार करें कमाई जो वर्ष भर का लाभ दे सकें। अगस्त के माह के समाप्त होने सितंबर के आने में लगाए जाने वाले सब्जियों की जानकारी लें और इन सब्जियों से पाए भरपूर मुनाफा। सितम्बर का महीना सब्जियों की बुवाई और बागवानी फसल के लिए बहुत ही विशेष माह है। इस सीजन में बागवानी फसलों व सब्जियों की खेती करके आप भरपूर मुनाफा ही प्राप्त कर सकते हैं किन सब्जियों में आप बैंगन , मूली , टमाटर , मिर्ची , गाजर , फूलगोभी और पत्ता गोभी को लगाकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। मीडिया 1 के द्वारा इसके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां सितंबर के माह के पहले ही रवि की फसलों की बुवाई का कार्य प्रारंभ कर दिया जाता है और साथ में देखा जाए तो यह माह सब्जियों और बागवानी फसलों के लिए बेहतर है। अगर कोई किसान भाई सब्जी की खेती करने के लिए इच्छुक है तो इस सीजन में सितंबर माह में इन सब्जियों की खेती करें क्योंकि यह सब्जियां मौसमी होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है इस कारण इनकी बाजा मांग भी बहुत है। इन सब्जियों की खेती करें जानिए मीडिया 1 के द्वारा…..

सितम्बर माह में बोई जाने वाली सब्जियां

बैंगन

बैंगन एक ऐसी सब्जी है जिसका सेवन प्रत्येक घर में किया जाता है। बैंगन भारत की फसल है चूंकि प्रत्येक घर में इसका सेवन होने के कारण 12 माह इस की मांग बनी रहती है किसान भाइयों को अच्छा भाव मिल जाता है। भारत में बैंगन एक सुप्रसिद्ध सब्जी है और इसकी खेती करना भी सरल होता है। बैंगन की खेती सितंबर के माह में की जाए तो काफी अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि इस सीजन में सब्जियों की मांग बहुत होती है।
बैंगन में बुवाई के बाद लगभग 60 से 100 दिनों में फसल प्राप्त हो जाती हैं।

मूली

मूली एक ऐसी फसल है जो कम समय में अधिक लाभ दे सकती है। मूली सामान्य रूप से ठंडी जलवायु की फसल मानी जाती है लेकिन इसकी खेती अधिकांश रूप से रबी के सीजन में की जाती है। मूली का उपयोग सब्जी के साथी कच्चे सलाद और अचार के रूप में भी किया जाता है।
मूली कम समय में होने वाली फसल है मूली की फसल 40 से 50 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है।

टमाटर

सामान्य रूप से टमाटर की तीन फसलें ली जा सकती है लेकिन टमाटर की विशेष फसल प्राप्त करने के लिए सितंबर और अक्टूबर का माह उचित माना जाता है सितंबर और अक्टूबर के माह में टमाटर के लिए बुवाई कर ले जाते हैं। टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग वर्ष भर रहती है इसलिए इससे अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता हैं।
पत्तागोभी की बुवाई के लगभग 60 दिन के पश्चात फसल प्राप्त हो जाती हैं।

मिर्ची

मिर्ची एक ऐसी फसल है जिसकी मांग वर्ष भर रहती है क्योंकि हरी मिर्ची को प्रत्येक घर में उपयोग में लिया जाता है। मिर्ची की रोपाई सितंबर से अक्टूबर के माह में की जाती है। मिर्ची अचार्य सलाद के रूप में प्रयोग किए जाने के साथी सब्जी में भी इसका उपयोग किया जाता है। हरी मिर्च को पूर्ण विकसित होने पर इसी अवस्था में तोड़ लिया जाता है। यदि मिर्ची को मसाले के रूप में प्रयोग करना है तो मिर्ची को पूर्ण रूप से लाल होने पर तोड़ लिया जाता है।
मिर्च की फसल में लगभग 140 से 180 दिनों में फसल प्राप्त हो जाती है।

गाजर

गाजर भारत की प्रमुख सब्जी है साथ ही यह फल के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है। गाजर को सब्जी और फल के साथ सलाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है।गाजर को बोने के लिए अगस्त के मध्य से लेकर नवंबर तक का माह उचित रहता है। हमारे देश में गाजर के लिए प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश , आंध्र प्रदेश , पंजाब , हरियाणा और कर्नाटक है।
गाजर की फसल की बुवाई के लगभग 110 से 120 दिन पश्चात फसल तैयार हो जाती हैं ।

फूलगोभी

फूलगोभी की खेती के लिए उचित माह सितंबर से अक्टूबर का होता है फूलगोभी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर के माह में बुवाई कर ली जाती है। अधिकांश रूप से फूलगोभी को बोने के बाद इस की कटाई का कार्य 60 से 150 दिन के बाद होता है। इसके पश्चात आप इसे बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। फूलगोभी के कई उपयोगी है जैसे सब्जी बनाने के साथ ही अचार , सलाद , बिरयानी , पकोड़ा और सूप बनाने में भी किया जाता है। साथी फूलगोभी पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी सहायक होती है।

पत्ता गोभी

पत्ता गोभी की सब्जी की बुवाई के लिए सितंबर से अक्टूबर कामा उचित होता है सितंबर और अक्टूबर के माह में पत्ता गोभी के लिए क्या बनाकर उनमें बुवाई कर ली जाती है या अन्य तरीके से नर्सरी भी लगा दी जाती है। पत्ता गोभी भी हमें काफी लाभ देती है। पत्ता गोभी की भी बाजार मांग बहुत होती है।
पत्ता गोभी की बुवाई के बाद लगभग 60 से 120 दिन के बाद में फसल तैयार हो जाती हैं।

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