राजस्थान की बादाम से भी अधिक बाजार भाव वाली सब्जी : सांगरी की खेती के बारे में जानिए

Rahul Patidar
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सांगरी की खेती से संबंधित जानकारी

सामग्री एक ऐसी सब्जी है जो बारिश के दिनों में काफी तेजी से बढ़ती है यह सब्जी रेतीले इलाकों में उगने वाली सब्जी है। सांगरी की सब्जी सूखे इलाकों में पैदा होने वाली सब्जी है। सांगरी की सब्जी को कैर के साथ मिलाकर बनाया जाता है जिसे कैर सांगरी की सब्जी कहा जाता है। सांगरी की सब्जी से पंचकूटा की सब्जी भी बनाई जाती है। राजस्थान में सांगरी की सब्जी विशेष रूप से बनाई जाती है जो कि मुख्य त्योहार शादी विवाह आदि के समय बनाई जाती है। सांगरी मुख्य रूप से राजस्थान की सब्जी है। इस सब्जी को राजस्थान के नागौर , सीकर , चूरू और झुंझुनूं में बहुत मात्रा में पाई जाती हैं।
सांगरी की सब्जी के कई फायदे हैं खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ मैंने सिस्टम को मजबूत करती है। पुराना महामारी के समय सांगरी की सब्जी की मांग बहुत रही। कोरोना काल में सांगरी की सब्जी को ऑनलाइन प्रति किलोग्राम 1000 रुपए में बेची गईं।

1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो जाता है सांगरी की सब्जी का भाव

जब सांगरी की पैदावार बहुत कम मात्रा में होती है तब सांगली के बाजार भाव अन्य वर्षो तुलना में दुगने हो जाते हैं। पैदावार कम और बाजार में अधिक मांग होने के कारण इसकी सब्जी का बाजार भाव प्रति किलोग्राम 1200 रुपए तक हो जाता है। सामान्य रूप से बादाम या काजू का भाव प्रति किलोग्राम ₹800 के आसपास ही होता है ऐसे में सांगरी की कीमत प्रति किलोग्राम ₹1200 होने के कारण कीमत बादाम और काजू के भाव को भी पार कर जाती है। इसलिए सांगरी की सब्जी की कीमत बादाम और काजू के भाव से भी ज्यादा होती है किंतु जो लोग इस सब्जी को खाने की इच्छुक रहते हैं उनको इसकी दुगनी कीमत देनी पड़ती हैं।

गलेडा रोग से प्रभावित होती है सांगरी की सब्जी

सांगरी की खेती राजस्थान के चूरू और शेखावाटी क्षेत्रों में की जाती है। लेकिन गलेडा रोग के कारण फसल को नुकसान होता है और पैदावार कम होती हैं जिससे बाजार में भाव काफी अधिक हो जाता है।

सांगरी की खेती में लगने वाले रोगों के समाधान

खेजड़ी का पौधा जिससे सांगरी की सब्जी प्राप्त होती है इस पौधे को रोग से मुक्त करने के लिए फफूंद नाशक का उपयोग किया जाता है। इसके लिए 20 लीटर पानी में 20 से 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल फफूंदनाशक को मिलाकर जड़ों में डाल दिया जाता है। फफूंदनाशक दवा को डालने से पूर्व पौधे के चारों ओर 1 मीटर की दूरी में 200 से 300 लीटर पानी की तराई की जानी चाहिए इसके पश्चात दवा डालना चाहिए।ऐसा करने से खेजड़ी के पौधे को रोगों से बचाया जा सकता है।

सांगरी का पौधा क्या हैं??

राजस्थान के सूखे इलाकों में उगने वाला पौधा खेजड़ी का पौधा बहुत मात्रा में मिलता है इसी से सांगरी की सब्जी प्राप्त होती है। ताजा सांगरी की सब्जी की बनाने में उपयोग में लिया जाता है शेष को सुखा कर भंडारित कर लिया जाता है जिसे वर्षभर उपयोग किया जा सकता है। सांगरी की सब्जी को कैर के साथ मिलाकर कैर सांगरी की सब्जी बनाई जाती है । इसी से पंचकूतट की सब्जी भी बनाई जाती है। पंचकूटा की सब्जी सांगरी की सब्जी के साथ अन्य और चार सब्जी साबुत लाल मिर्च , गोंदा , कैर और कुमटिया मिलाकर बनाई जाती है। राजस्थान की जलवायु के अनुसार विभिन्न प्रजातियों से बनाई गई सब्जी को अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त है। पंचकूला की सब्जी को फाइव स्टार होटलों में भी रखा जाता है।

सांगरी के फायदे के बारे में चर्चा करें

सादरी के बहुत फायदे हैं सामग्री में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे कैल्शियम , पोटेशियम , जिंक , आयरन , प्रोटीन और खनिज लवण आदि। सांगरी की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होती है साथ में सेहत के लिए भी लाभदायक होती है। सांगरी की सब्जी इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने में सहायक है इसी कारण कोरोना काल में इसकी बहुत मांग थी।

सांगरी की खेती क्यों करना चाहिए??

सामग्री एक प्राकृतिक सब्जी है जिस की खेती किसान भाइयों को नहीं करनी पड़ती है। सामग्री प्राकृतिक रूप से होती है क्योंकि यह खेजड़ी के पौधे से प्राप्त होती है। सांगरी में किसी भी प्रकार के उर्वरक कीटनाशक दवा का प्रयोग नहीं करना होता है। सादरी स्वाभाविक रूप से उड़ने वाली सब्जी है जो कि खेजड़ी के पौधे से प्राप्त होती है। सांगरी की अधिक मांग के कारण अब इसकी खेती की जाने लगी है खेती के लिए अब मुख्य रूप से ग्राफ्टेड तकनीक का भी प्रयोग किया जाता है।सांगरी की खेती बंजर भूमि में की जाती है इसीलिए यह राजस्थान की सब्जी है।

सांगरी की खेती की विशेष तकनीक

मेरी की खेती के लिए एक विशेष तकनीक का विकास किया गया है जिसे ग्राफ्टेड विधि कहा जाता है। ग्राफ्टेड विधि के विकास का श्रेय बीकानेर कृषि यूनिवर्सिटी को जाता हैं।कृषि वैज्ञानिक डॉ. इंद्रमोहन वर्मा के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाले खेजड़ी से सामग्री के बीजों को लेकर बुवाई करने पर तैयार पौधों में प्रतिरोधक क्षमता कई गुना अधिक होती है। इसकी खेती के लिए खास तकनीक है कि खेजड़ी का पेड़ जहां से अच्छी सामग्री प्राप्त हो जाए उसकी टहनी निकालकर जुलाई-अगस्त में बीजों के अंकुरण से तैयार पौधों पर बडिंग कर लें। इस विधि को ग्राफ्टेड विधि कहा जाता है। इस प्रकार इस विधि से बुवाई के 3 वर्ष पश्चात चार से पांच फीट लंबाई वाले पौधे पर ही उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधि इतनी आसान है कि आम किसान भी इसे आसानी से कर सकते हैं।

सांगरी की खेती से प्राप्त होने वाला लाभ

राजस्थान के खेजड़ी के पौधे से सामग्री प्राप्त होती है ताजा सामग्री का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है इस प्रकार सांगरी का भाव जलवायु के अनुसार पैदावार कम या ज्यादा होने पर निर्भर करता है। इस प्रकार सामग्री का बाजार भाव प्रति किलोग्राम 800 से 1200 रूपये तक होता है।
खेजड़ी के पेड़ से लूंग और लकड़ियों से भी कमाई की जा सकती हैं।मुख्य प्रकार की ग्राफ्टेड विधि का प्रयोग करके किसान भाई प्रति बीघा में 65 ग्राफ्टेड पौधे लगा सकते हैं। किस प्रकार प्रत्येक वर्ष में इन पौधों से 6 क्विंटल सांगरी , 40 क्विटंल तक लूंग प्राप्त की जा सकती हैं। सांगरी अच्छी पैदावार और लाभ देने वाली खेती है।

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