रतालू की खेती क्यों करना चाहिए??
वर्तमान में किसान भाई प्राचीन खेती के स्थान पर लाभ देने वाली खेती करना पसन्द कर रहे हैं। इस में आने वाली फसलों में रतालू एक प्रमुख फसल हैं। रतालू की खेती से अच्छा लाभ प्राप्त हो जाता हैं। रतालू एक एसी सब्जी हैं जो शंकरकंद के समान दिखाई देती हैं। रतालू को कई तरीकों से बनाकर खाया जा सकता हैं जैसे भुनना , पकाना , उबालना , तलना और सेंकना। रतालू की हम सब्जी के साथ चिप्स बनाकर भी खा सकते हैं।रतालू की खेती रिजके जो की एक तरह का चारा होता हैं उसके साथ करें इससे दुगना लाभ प्राप्त होता हैं। रतालु की खेती करने में प्रमूख देश अफ्रीका हैं। अफ्रीका के अलावा अब इसकी खेती हमारे देश में भी की जाती हैं । मेवाड़ के आसपास अधिक रूप से इसकी खेती की जाती हैं। मेवाड़ क्षेत्र में बनास नदी के आसपास के गांवों में मुख्य रूप से इसकी खेती की जाती हैं। यह नदी राजसमंद की रेलमगरा तहसील में बहती हैं । इन किसानों द्वारा की जाने वाली रतालू की खेती की मांग म.प्र. और गुजरात राज्य में बहुत हैं।
आइए , रतालू में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में चर्चा करें
रतालू में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात करें तो रतालू में कई प्रकार के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जैसे पोटेशियम , फाइबर , मैंगनीज , विटामिन C , विटामिन B6 आदि।
प्रति 100 ग्राम रतालू में लगभग 118 कैलोरी पाई जाती है इसी वजह से इसका सेवन शरीर के लिए अच्छा माना जाता हैं। मात्रा की बात करें तो पोटेशियम 816 मि.ग्रा. , मैग्नीशियम 21 मि.ग्रा. , कैल्शियम 17 मि.ग्रा. , सोडियम 9 मि. ग्रा. , आयरन 0.5 मि.ग्रा. , कोलेस्टॉल 0 मि.ग्रा. , फाइबर 4.1 ग्राम , शर्करा 0.5 ग्राम , कार्बोहाइड्रेट 28 ग्राम , वसा 0.2 ग्राम , प्रोटीन 1.5 ग्राम , विटामिनB 12 मि.ग्रा. , विटामिनC 17.1 मि.ग्रा. और विटामिनB6 0.3 मि.ग्रा. पाए जाते हैं।
रतालू की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु का निर्धारण
रतालू की खेती के लिए मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए इसलिए ही इसके लिए उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी हैं। ध्यान रहें जल भराव की समस्या ना हो । रतालू की खेती में भूमि क्षारीय न हों। इन्ही कारणों से रतालू की खेती अधिकांश बनास नदी के आसपास के गांवों में होती हैं।
रतालू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु उष्ण होना चाहिए।
रतालू की विभिन्न किस्में
रतालू की दो किस्में है
1)लाल किस्म
2)सफेद
लाल रतालू की सबसे ज्यादा मांग गुजरात में बडोदरा , सूरत और अहमदाबाद में हैं ।
रतालू की खेती करने की प्रक्रिया
रतालू की खेती के लिए सबसे पहले खेत तैयार करें इसके लिए खेत की जुताई करें। जुताई के लिए रोटावेटर , कल्टीवेटर और ट्रैक्टर का उपयोग करें ताकि खेत की गहरी जुताई हो सकें। अब खेत में क्यारियों का निर्माण करें और इन क्यारियों में डोलियां बनाए जिनकी आपस में दूरी 50 से.मी. हों। डोलियों में रतालू की बुवाई का कार्य करना हैं और डोलियों में रतालू की बुवाई के लिए दुरी 30 से.मी. रखें। रतालू की बुवाई में 20 से 30 क्विटंल प्रति हैक्टेयर बीज लगते हैं। रतालू की बुवाई में रतालू के टुकड़ों में ऊपरी भाग से बुवाई करने पर उत्पादन ज्यादा होता हैं।रतालू की बुवाई से पूर्व उपचरित कर लेना चाहिए इसलिए रतालू को उपचारित करने के लिए 0.2% मैन्कोजेब के घोल में 5 से 7 मिनट तक रखें।
रतालू की खेती में बुवाई कब की जाए??
रतालू की बुवाई के लिए कई किसान भाई मार्च के माह में ही रतालू को बोने का कार्य प्रारंभ कर देते हैं और रतालू की खुदाई का कार्य नवंबर महीने में करते हैं। इन सबके अलावा अप्रैल से जून तक का समय रतालू के बुवाई के लिए उचित होता हैं।
रतालू की खेती में सिंचाई कैसे की जाए??
रतालू की सिंचाई कब और कैसे की जाए किसान योजना के माध्यम से जानेंगे। रतालू की सिंचाई आवश्यकता के हिसाब से समय पर कर देना चाहिए। रतालू की पहली सिंचाई रतालू की बुवाई होते ही कर देना चाहिए।रतालू की बुवाई से लेकर रतालू आने तक लगभग 15 से 25 बार सिंचाई हो जाती हैं।
रतालू की खेती में खाद व उर्वरकों का प्रयोग
रतालू की खेती में खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें इसके लिए जब खेत को तैयार किया जता है तब सड़ी हुईं गोबर से बनी खाद 200 क्विटंल प्रति हैक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए। इसी के साथ 100 कि.ग्रा.पोटाश और 60 कि.ग्रा. फास्फोरस को खेत में बुवाई के लिए डोलियां बनाने से पूर्व मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त रतालू की बुवाई करने के 2 से 3 महीने के पश्चात् 50 कि.ग्रा.नत्रजन की मात्रा को 2 बराबर हिस्सों में बांटकर पौधों के चारों ओर डालना चाहिए।
रतालू की खेती में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार ना हो इसलिए रतालू की खेती में समय – समय पर निराई और गुड़ाई करना चाहिए।
रतालू में खुदाई का कार्य और लागत सम्बन्धित बातें
रतालू की खेती में फसल को तैयार होने में लगभग 8 से 9 महीने का समय लगता हैं। बुवाई से लेकर 8 से 9 महिने बाद रतालू की खुदाई का कार्य करना चाहिए।
रतालू की खेती में आंकड़ों के अनुसार रतालू की बुवाई में लागत लगभग 1 बीघा में 15,000रूपये होते हैं।
रतालू से प्राप्त उत्पादन और लाभ
रतालू में उत्पादन की बात करें तो रतालू से 250 से 400 क्विटंल प्रति हैक्टेयर तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं। रतालू की खेती से 1 टन प्रति हैक्टेयर की उपज प्राप्त होती हैं। इससे किसान भाई को लाखों तक का मुनाफा मिल जाता हैं। रतालू से अच्छा मुनाफा प्राप्त हो जाता हैं। सामान्य रूप से लाल रतालू बाजार में होलसेल 30 से 40 रूपये प्रति कि.ग्रा. के कीमत से बिकते हैं। इसी रूप में सफेद रतालू 15 से 20 रूपये प्रति कि.ग्रा. के कीमत से बिकते हैं। रतालू से लाखों तक 3का लाभ प्राप्त हो जाता हैं।