नाशपाती की खेती के बारे में जानिए : नाशपाती की विभिन्न किस्में , उत्पादन और लाभ

Rahul Patidar
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नाशपाती की खेती क्यों करना चाहिए ??

भारत में किसान रबी और खरीफ की फसलों के साथ-साथ फलों की खेती भी करके मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। नाशपाती की खेती करके किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। नाशपाती फल का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता हैं।नाशपाती में आयरन और खनिज – लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। नाशपाती खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती हैं साथ ही कोलेस्ट्रॉल भी कम हो जाता हैं।नाशपाती फल का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता हैं। इसी कारण लोग इस फल का सेवन ज्यादा करते हैं और बाजार में नाशपाती की मांग बनी रहती हैं।नाशपाती के एक पेड़ से किसान को 1 से 2 क्विंटल के मध्य पैदावार आसानी से मिल जाती हैं और 1 एकड़ बगीचे से लगभग 500 से 700 क्विंटल फल की पैदावार मिल जाती हैं।

Contents
नाशपाती की खेती क्यों करना चाहिए ??देश में नाशपाती की खेती से सम्बन्धित क्षेत्रनाशपाती के बागवानी के साथ अन्य फसलों की खेतीनाशपाती की विभिन्न किस्मों के बारे में जानकारीनाशपाती की खेती के लिए मिट्टी , जलवायू और तापमान का निर्धारणनाशपाती की खेती करने की प्रक्रियानाशपाती की खेती में पौधो को कैसे लगाया जाए??नाशपाती की खेती में सिंचाई कैसे की जाए??नाशपाती के पेड़ को काटने व छांटने का कार्यनाशपाती के बागान में खाद और उर्वरकों का प्रयोगनाशपाती में खरपतवार नियंत्रण और निराई-गुड़ाईनाशपाती फल की तुड़ाई का कार्यनाशपाती के फलों का संग्रहण कैसे किया जाए??नाशपाती के फल से प्राप्त पैदावार और लाभ

देश में नाशपाती की खेती से सम्बन्धित क्षेत्र

विश्व में नाशपाती फल की कुल किस्में 3000 से भी ज्यादा हैं ।हमारे देश में इन किस्मों में से 20 से अधिक प्रजाति की खेती की जाती हैं। हमारे देश में नाशपाती की खेती से संबंधित क्षेत्र जैसे मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , हिमाचल प्रदेश , जम्मू और कश्मीर है।

नाशपाती के बागवानी के साथ अन्य फसलों की खेती

जब तक नाशपाती के बाग में फल लगना आरंभ नहीं होते तब तक नाशपाती के साथ मूंग , तोरिया और उड़द आदि की बुवाई करके लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं। इसके अतिरिक्त आलू , प्याज़ , मटर , गेहूं , चना , हल्दी , अदरक और सब्जियों की खेती भी नाशपाती के साथ की जा सकती हैं।

नाशपाती की विभिन्न किस्मों के बारे में जानकारी

दुनियाभर में नाशपाती की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं हमारे देश में भी नाशपाती की उन्नत किस्मों की खेती की जाती हैं । इनमें मुख्य किस्में इस प्रकार हैं ।
जैसे – नाशपाती की जल्दी आने वाली किस्मों में शिनसुई , कोसुई , सीनसेकी , लेक्सटन सुपर्ब , अर्ली चाईना और थम्ब पियर हैं। नाशपाती की देर से आने वाली किस्मों में काश्मीरी नाशपाती , डायने डयूकोमिस और कान्फ्रेन्स (परागण) आदि हैं।
भारत में घाटियों वाले क्षेत्र , मध्य क्षेत्र और निचले क्षेत्रों में लगाई जाने वाली प्रमुख किस्में गोला , पत्थर नाख , चाईना नाशपाती , हो सुई , पंत पीयर-18 और कीफर (परागण) आदि हैं।

नाशपाती की खेती के लिए मिट्टी , जलवायू और तापमान का निर्धारण

नाशपाती की बागवानी के लिए खेत में जलभराव की समस्या ना हो इसके लिए अच्छी जल निकास वाली मिट्टी होनी चाहिए । नाशपाती की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी गहरी तथा दोमट बलुई मिट्टी होती हैं। मिट्टी का PH मान 7 से 8.5 के मध्य हों।
नाशपाती की बागवानी के लिए जलवायु की बात करें तो मैदानी भूमि के लिए आर्द्र और उपोष्ण तथा ऊंचाई वाले स्थानों के लिए शुष्क और शीतोष्ण होने से खेती आसानी से की जा सकती हैं।
नाशपाती की बागवानी के लिए तापमान की बात करें तो 10 °C से 25 °C का तापमान नाशपाती के लिए उचित रहता हैं। सर्दी के मौसम में पाले और कोहरे से फूलों को हानि होती हैं।

नाशपाती की खेती करने की प्रक्रिया

नाशपाती की खेती के लिए पहले खेत तैयार करें इसके लिए कल्टीवेटर या मिट्टी पलटने वाले हल का उपयोग कर खेत की जुताई दो से तीन बार करें । इसके पश्चात् खेत में सिंचाई करें और पलेउ करने के लिए छोड़ दें। मिट्टी अच्छी तरह से पलट जाए और भुरभुरी हो जाए इसके लिए 1 से 2 बार रोटावेटर की सहायता से जुताई करें । खेत को समतल बनाए और जल निकासी के लिए हल्की सी ढलान दें।

नाशपाती की खेती में पौधो को कैसे लगाया जाए??

नाशपाती की बागान के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ।
यदि बीज को बोने के बाद खेती करना हैं तब बीज को खेत तैयार होने के बाद बुवाई करें।
चाहे तो पौधों की कलम को नर्सरी में तैयार करें तथा 20 से 25 दिन बाद इन पौधों का रोपण खेत में करें।
पौधों के मध्य दूरी लम्बाई में 8 मी. और चौड़ाई में 4 मी.होना चाहिए ।

नाशपाती की खेती में सिंचाई कैसे की जाए??

नाशपाती के बागवानी में जब पौधों का रोपण हो जाए तब ज़रूरत के हिसाब से समय – समय पर सिंचाई की जानी चाहिए। नाशपाती की बागान के लिए 1 साल में लगभग 75 से 100 से.मी. के मध्य बारिश की ज़रूरत होती हैं। सर्दी के मौसम में 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जाए तथा गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिन में एक बार सिंचाई करें।

नाशपाती के पेड़ को काटने व छांटने का कार्य

नाशपाती के बागान में पौधे की कटाई और छंटाई का कार्य किया जाता हैं।नाशपाती के बागान से हमें अधिक उत्पादन और अच्छे फल मिले इसलिए कंटाई व छंटाई का कार्य किया जाता है। इसके अलावा नाशपाती की अनावश्यक शाखाओं को हटाने और अन्य शाखाओं की मजबूती के लिए भी कटाई की जाती हैं। नाशपाती के पौधों से रोग ग्रस्त , खराब हो चुकी , कमज़ोर हुई शाखाओं और टूटी – फुटी हुई शाखाओं की टहनियों को काट दिया जाता हैं ।

नाशपाती के बागान में खाद और उर्वरकों का प्रयोग

नाशपाती के फल की अच्छी पैदावार प्राप्त हो इसके लिए खेत में उपयुक्त मात्रा में खाद देना चाहिए। नाशपाती के फल की अच्छी पैदावार के लिए जैविक खाद के रूप में सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग खेत में करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उचित मात्रा में रासायनिक खाद का भी प्रयोग करना चाहिए। 3 वर्ष विकसित नाशपाती के पेड़ में लगभग 10 किलो गोबर की खाद , 200 से 300 ग्राम सिंगल फास्फेट , 200 से 450 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 100 से 300 ग्राम यूरिया की उचित मात्रा मिट्टी में मिला दें और फिर सिंचाई करें । इसी प्रकार जैसे पेड़ का विकास होने लगे तब मात्रा को बढ़ा दें। 4 से 6 वर्ष विकसित नाशपाती के पेड़ में लगभग 25 से 35 किलो गोबर की खाद , 800 से 1200 ग्राम सिंगल फास्फेट , 600 से 900 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और 400 से 600 ग्राम यूरिया एक पेड़ के हिसाब से उचित मात्रा से डाले।

नाशपाती में खरपतवार नियंत्रण और निराई-गुड़ाई

नाशपाती की खेती में खेत में खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीके का प्रयोग करना चाहिए इसके लिए समय-समय पर निराई और गुड़ाई करें और आवश्यकता होने पर रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें।

नाशपाती फल की तुड़ाई का कार्य

नाशपाती के फलों की तुड़ाई का कार्य और समय नाशपाती की किस्म पर निर्भर करता हैं।नाशपाती के फल को पकने के लिए लगभग 145 दिन लगते हैं किन्तु सामान्य किस्म में लगभग 130 से 140 दिन लगते हैं। फलों को तोड़ने का कार्य जून से सितम्बर के मध्य किया जाता हैं।जब नाशपाती के फल को दूर मंडियों में ले जाना हों तब हरे फल तोड़ना चाहिए ताकि खराब ना हों और यदि मंडी आसपास हो तब फल पुर्ण पक जाने के बाद तोड़ना चाहिए ।

नाशपाती के फलों का संग्रहण कैसे किया जाए??

नाशपाती के फलों का संग्रहण कैसे किया जाए इस बारे में जानेंगे। फलों के संग्रहण के लिए तापमान 0-1°C और 90-95 % नमी होना चाहिए । इस तापमान में फलों को 60 से 65 दिन तक रख सकते है।फलों को तोड़ने के बाद फलों को छांट लेना चाहिए और फलों को बॉक्स में संग्रहित करें और मंडी ले जाए । फलों को तोड़ने के पश्चात् उसमें कच्चे फलों को पकाने के लिए फलों को 100 ppm इथाइलीन गैस में 24 घंटों तक रखें और इसके बाद 20°C में बॉक्स में संग्रहित कर रखें या फिर इसके अलावा फलों को 4 से 5 मिनट तक उपचारित करें इसके लिए 1000 ppm एथेफोन का प्रयोग करें ।

नाशपाती के फल से प्राप्त पैदावार और लाभ

नाशपाती के बागान में लगभग 4 से 5 क्विंटल प्रति पेड़ उत्पादन प्राप्त हो जाता हैं। इसके अलावा नाशपाती की अन्य किस्मों से लगभग 6 से 7 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हो जाती हैं। इस प्रकार 1 एकड़ बागान से लगभग 400 से 700 क्विंटल नाशपाती की पैदावार प्राप्त हो जाती हैं । सामान्यतः नाशपाती के फल का बाजार में भाव 60 से 100 रूपये प्रति किलो तक होता है । इस तरह नाशपाती से लाखों रूपए तक का मुनाफा मिल जाता हैं।

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