मूंगफली की खेती के बारे में जानिए : मूंगफली की खेती से पाए भरपुर लाभ

Rahul Patidar
8 Min Read

मूंगफली की खेती क्यों करें??

मूंगफली को भारतीय काजू के नाम से भी जाना जाता है। मूंगफली तिलहन वाली फसलों के अंतर्गत आती हैं। तिलहन फसल में मूंगफली की खेती विशेष स्थान रखती हैं। मूंगफली और उसके तेल दोनों ही ही बाजार में अच्छी कीमत में बिकते हैं। भारत में लगभग मुंगफली के पैदावार में 75 % से 85 % तो मुंगफली के तेल बनाने में उपयोग किया जाता हैं।वनस्पति प्रोटीन का सबसे अच्छा और सस्ता स्रोत मुंगफली हैं। मुंगफली में प्रोटीन की बात करें तो मुंगफली में अन्य स्रोत की तुलना में अधिक पाया जाता हैं जैसे फलों से 8 गुना और अंडो से 2.5 गुना अधिक प्रोटीन मुंगफली में पाया जाता हैं। मूंगफली के दानों में 26%प्रोटीन और 45% तेल पाया जाता हैं। मूंगफली स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। मुंगफली को खाने के कई तरीके हैं जैसे सेकना , भापकर खाना आदि यहीं कई इसे व्रत में खाने में इस्तेमाल करते हैं ।

मुंगफली की खेती से संबंधित क्षेत्र

तिलहन वाली फसलों में मुंगफली भारत के 40 % क्षेत्रों में लगाई जाती हैं। मुंगफली की खेती भारत में म.प्र. , उ.प्र. , आन्ध्रप्रदेश , गुजरात , तमिलनाडू , राजस्थान , पंजाब और कर्नाटक राज्यों में की जाती हैं।

मूंगफली की खेती में मिट्टी , जलवायु और तापमान का निर्धारण

मुंगफली की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती हैं जो अच्छी जल निकासी वाली हों। मूंगफली की खेती के लिये उपयुक्त मिट्टी हल्की दोमट और बालू वाली मिट्टी हैं। मूंगफली की खेती के लिए मिट्टी का PH मान 6.0 से 6.5 के मध्य हों।
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु आर्द्र एवं उष्ण हैं। मुंगफली में तापमान 25 °C से 30°C के मध्य होना चाहिए।

खेत तैयार करने का तरीका

मूंगफली की बुवाई से पूर्व मिट्टी को गहराई से पलटने के लिए 2 से 3 बार कल्टिवेटर की सहायता से जुताई कर लेना चाहिए। खेत को पाटा की सहायता से समतल बनाए। बुवाई के लिए कम समय में पकने वाली अच्छी प्रजाति का उपयोग करें और गर्मी के मौसम में प्रति हैक्टेयर में 95 से 100 किलोग्राम की दर से बीज लगाए। ध्यान रहें बीज रोगरहित हों।

मुंगफली की अच्छी पकने वाली गुच्छेदार प्रजातिया

DH- 86 , R-9251 और R-8808 आदि।

मूंगफली की खेती में बुवाई कैसे करें??

मुंगफली की खेती खरीफ , रबी और जायद तीनों सीजन में की जाती हैं। मूंगफली उष्ण कटिबन्धीय पौधा हैं। मुंगफली को जायद के मौसम में देर से बोने पर बारिश के मौसम के शुरु होने पर मुंगफली को सुखाने में समस्या आती हैं इसलिए मुंगफली की बुवाई जायद के मौसम में 5 से 15 मार्च मध्य कर लें । कीट और रोगों से बचाने के लिए मुंगफली की बुवाई से पूर्व बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए बुवाई से पूर्व प्रति किलोग्राम में थायरम 2 ग्राम और कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम का उपयोग कर बीजों को उपचारित करें। फफूंदीनाशक दवा का उपयोग करने के पश्चात् 10 किलोग्राम बीज में 1 पैकेट राइजोबियम कल्चर को मिलाकर उपचारित करें। खेत में नमी ना होने पर मुंगफली मिट्टी में अच्छे से नहीं जम पाती हैं इसलिए जायद में मूंगफली की बुवाई के लिए नमी बनी रहें इसके लिए खेत में पलेवा करें। कुंडो की दूरी 25 से 30 से.मी.रखें और इन कुंडो में बुवाई 8 से 10 से.मी. की दूरी पर करें ।बुवाई के पश्चात् खेत में क्रास लगाकर पाटा लगाए।

बुवाई में महत्वपूर्ण बातें…..

• मूंगफली की बुवाई मेंड़ों पर करना चाहिए।
•मूंगफली की बुवाई के लिए सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि इससे दूरी का ध्यान होने पर इच्छा अनुसार पौधो की संख्या मिल जाती हैं।
•मुंगफली के बीज की बुवाई के लिए गहराई 4 से 6 सें.मी.में करना चाहिए ताकि अच्छा अंकुरण हो पाए।
•रबी या जायद के सीजन में खरीफ के सीजन की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में पौधे अधिक रखना चाहिए।
•विभिन्न किस्मों तथा विभिन्न मौसम के अनुसार अलग – अलग स्थानों पर खेत में पौधों की संख्या में अंतर होता है।
•मुंगफली की झुमका किस्म में पंक्ति की आपसी दूरी 30 सें.मी.और पौधे की आपसी दूरी 10 सेंटीमीटर हों।
•मुंगफली की फैलने वाली किस्म में पंक्ति की आपसी दूरी 45 से 60 सें.मी. और पौधे की आपसी दूरी 10 से 15 सें.मी. हों।

खाद और उर्वरक का उपयोग

मुंगफली की खेती में बेहतर उत्पादन के लिए खाद और उर्वरकों का उपयोग करें। इसके लिए प्रति हैक्टेयर सिंगल सुपर फास्फेट 150 किलोग्राम , म्यूरेट ऑफ पोटाश 60 किलोग्राम और यूरिया 45 किलोग्राम का उपयोग करना चाहिए। मुंगफली में ज्यादा मात्रा में नत्रजन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए नहीं तो यह मुंगफली को जल्दी नहीं पकने देगा।

मूंगफली में सिंचाई करने की प्रक्रिया

मुंगफली की बुवाई के पश्चात् समय – समय पर सिंचाई की जानी चाहिए। इसकी खेती में बुवाई के 20 दिन पश्चात् पहली सिंचाई , 30-35 दिन पश्चात् दूसरी सिंचाई और तीसरी सिंचाई 50-55 दिन पश्चात् की जाए। गर्मी और ठंड के मौसम में 10 से 15 दिन के अन्तराल में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। मुंगफली के फूल आए तब , दाना बनने लगे तब और फूल बनने पर आवश्यकता के 3अनुसार सिंचाई अवश्य करें । जल निकासी की व्यवस्था करें ताकि जल भरने की वजह से फसल खराब ना हों।

मूंगफली की खुदाई कब की जाए??

मुंगफली की खुदाई का ध्यान रखें ।मुंगफली की कटाई देर से होने पर मुंगफली के उत्पादन में कमी आती हैं। इसके लिए समय पर खुदाई का कार्य करें। मुंगफली की खुदाई में ध्यान रखने की बातें यह हैं कि जब मूंगफली में पत्तियां पीली होने लगें और टूटकर गिरने लगें और मुंगफली का छिलका कठोर हो जाए और मुंगफली के दाने की परत लाल या गहरे गुलाबी रंग की हो तब मुंगफली की खुदाई की जानी चाहिए। फलियों के लिए मुंगफली की खुदाई के पश्चात् पौधे सुख जाए तब फलियां अलग करना चाहिए। फलियां भी सूखा दें ताकि उनमें नमी की मात्रा अधिक ना रहें । और इन फलियों अच्छे से साफ करें और फिर बड़ी और छोटी फलियां अलग कर लें ताकि अच्छी कीमत मिल जाए।

मूंगफली से प्राप्त उत्पादन और लाभ

मूंगफली की खेती में वर्तमान और बेहतर तकनीक का उपयोग कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं।मुंगफली की खेती में रबी और जायद की फसल में प्रति हैक्टेयर 20 से 35 क्विटंल और खरीफ की फसल से प्रति हैक्टेयर 18 से 25 क्विटंल तक उत्पादन प्राप्त होता हैं।
मुंगफली की कीमत मुंगफली में नमी , दाने के आकार और तेल की मात्रा के अनुसार ही तय होती हैं। वर्तमान में मुंगफली की कीमत 3500 से 6500 प्रति क्विटंल तक हैं।

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