मीठे बांस की खेती : मीठे बांस की नई किस्म जारी , किसानों को होगा भरपूर मुनाफा

Rahul Patidar
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जानिए , मीठे बांस की खेती से संबंधित जानकारी..

हमारे देश में किसानों द्वारा परंपरागत खेती के अतिरिक्त अन्य खेती भी की जाने लगी हैं जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही हैं।इसी क्रम में किसान बांस की खेती करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं।बांस से कई प्रकार की आवश्यक चीज बनाई जाती हैं जैसे – अगरबत्ती , बांस के फर्नीचर , बांस की टोकरी और बांस की चटाई आदि।इसके अतिरिक्त बांस से बहुत से कार्य आसान हो जाते हैं।अब बांस का प्रयोग इथेनॉल बनाने के लिए भी किया जा सकता हैं।इसकी जानकारी भारतीय अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट द्वारा मिली हैं।बांस की खेती में बांस को एक बार लगाने के पश्चात् कई वर्षों तक कमाई की जा सकती हैं।बांस की खेती की खासियत यह हैं कि बांस में कीट एवं रोग लगने की संभावना कम होती हैं।बांस को हरा सोना भी कहते हैं।बांस की 136 प्रजातियां हैं किंतु किसानों द्वारा उन्नत किस्म की ही खेती की जाती हैं।बांस की विभिन्न प्रजातियों में अब मीठे बांस की प्रजाति भी सम्मिलित हो गई हैं।शोधकर्ताओं द्वारा प्रयोगशाला में मीठे बांस की एक विशेष किस्म तैयार की हैं।किसानों के लिए यह अच्छी खबर हैं।किसान भाई बांस की इस नई किस्म की खेती से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।बांस की खेती के लिए केंद्र सरकार द्वारा किसानों को राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत सब्सिडी भी दी जाती हैं।आइए , मीडिया 1 द्वारा मीठे बांस की नई किस्म से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

मीठे बांस के पौधे कहां तैयार किए जा रहे हैं??

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मीठे बांस का शोध Tej Narayan Banaili College(T.N.B.) , भागलपुर (बिहार) में स्थित प्लांट टिश्यू कल्चर लैब (PTCL) में किया गया हैं।यहां पर मीठे बांस के पौधे बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहे हैं।बांस से फर्नीचर बनाने के अतिरिक्त बांस का अचार भी बनाया जाता हैं।मीठे बांस की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।किसान भाई बांस की खेती से अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।

मीठे बांस से इथेनॉल बनाने को लेकर शोध जारी

बांस के पौधे कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और कार्बनिक पदार्थ का निर्माण करते हैं।यह कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में मिलकर उसे ओर उपजाऊ बनाते हैं।मीठे बांस से इथेनॉल बनाने के कार्य को प्रारंभ करने के लिए शोध जारी हैं।यदि शोध पूर्ण रूप से सफलतापूर्वक होता हैं तब हमारे देश में मीठे बांस से इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा।इसके अतिरिक्त बांस से बायो CNG , बायोगैस और इथेनॉल के उत्पादन से संबंधित वैज्ञानिकों का शोध कार्य जारी हैं और यह कार्य उन्नति पर हैं।आशा हैं कि इस शोध कार्य में जल्द ही सफलता मिलेगी और भारत में बांस से बायो CNG , बायोगैस और इथेनॉल का उत्पादन हो सकेगा।किसान भाई बांस को अपने खेत की मेढ़ पर लगाकर इससे काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं।

मीठे बांस की खेती के लिए अनुकूल मिट्टी

बांस का उपयोग दवाई और खाद्य उत्पादों को बनाने में भी किया जाता हैं।हमारे देश के अतिरिक्त अन्य देशों जैसे – सिंगापुर , ताइवान , फिलिपिंस और चीन आदि देशों में बांस से चिप्स और अचार आदि खाने के व्यंजन बनाकर बाजार में बेचा जाता हैं।अब भारत में भी बांस की खेती व्यावसायिक रूप से की जाने लगी हैं।मीठे बांस की खेती के लिए अनुकूल मिट्टी की बात करें तो मीठे बांस की इस किस्म की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त हैं।शोधकर्ताओं को परीक्षण के समय NTPC से निकली राख में भी मीठे बांस के पौधें को लगाने में सफलता प्राप्त हुई हैं।अब शोधकर्ताओं ने मीठे बांस का भी सफलतापूर्वक विकास किया हैं।ऐसे में किसानों की आय में वृद्धि होगी।किसान इसकी खेती से काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

बांस की खेती पर मिलने वाली सब्सिडी

बांस की खेती के लिए केंद्र सरकार द्वारा किसानों को राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत सब्सिडी भी दी जाती हैं।राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत प्रत्येक 3 वर्षों में बांस के एक पौधे की लागत लगभग 240 रुपए तय की गई हैं।किसान भाइयों को प्रति पौधा लगभग 120 रुपए की सब्सिडी मिलती हैं अर्थात् सरकार की ओर से इस पर 50% सब्सिडी प्रदान की जाती हैं।किसान भाइयों को सरकार की ओर से बांस की खेती के लिए प्रति पौधा लगभग 120 रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाती हैं। किसान इसकी खेती से काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

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