कीवी की खेती के बारे में जानिए : कीवी की विभिन्न किस्में , तकनीक , रोग और समाधान

Rahul Patidar
12 Min Read

कीवी की खेती क्यों करना चाहिए??

कीवी भारतीय फल ना होकर एक विदेशी फल हैं। कीवी प्रमुख रूप से चीनी फल हैं इस कारण कीवी को चीनी गुजबैरी के नाम से भी जाना जाता हैं।हमारे देश में व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो भी कीवी की खेती बहुत ही आवश्यक है ।कीवी के फल की बाजार में मांग और अच्छा मूल्य मिल जाने के कारण अच्छा मुनाफा मिल जाता है । इसके अलावा कीवी का फल स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है । कीवी में प्रचुर मात्रा में फाइबर , कॉपर , सोडियम , पोटैशियम , एंटी ऑक्सीडेंट , विटामिन सी और ई पाए जाते हैं। कीवी में पाए जाने वाले पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। कीवी का फल डेंगू में भी फायदेमंद होता है । कीवी के फल में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण देश और दुनियाभर में कीवी की बहुत मांग हैं इसलिए कीवी की खेती हमारे देश में भी बढ़े स्तर पर होने लगी हैं।

आइए , कीवी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में चर्चा करें।

कीवी फल को खाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। डॉक्टर द्वारा भी कीवी खाने की सलाह दी जाती हैं इसी वजह से कीवी फल की बाजार में ज्यादा मूल्य होने के बाद भी कीवी की मांग बाजार में बनी रहती हैं । कीवी में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व जैसे फाइबर , कॉपर , सोडियम , पोटैशियम , एंटी ऑक्सीडेंट , विटामिन सी और ई हैं। कीवी में प्रचूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं और इसमें पाए जाने वाले विटामिन की मात्रा संतरे से पांच गुना अधिक है। कीवी कई बीमारियों के इलाज में लाभदायक हैं जैसे

•कीवी का फल डेंगू में भी फायदेमंद होता है ।
•कीवी में पाए जाने वाले पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं जो हमारे शरीर को बीमारियों से रक्षा करने में अहम भूमिका रखता हैं।
•कीवी के फल को खाने से बाल मजबूत होते हैं क्योंकि इससे बाल चमकदार होते हैं और बालों के टूटने की समस्या भी कम हो जाती हैं।
•कीवी फल को खाने से त्वचा चमकदार होती हैं साथ ही मुंहासे दूर होते हैं। कीवी फल खाने से सौंदर्यता बढ़ जाती हैं।

देश में कीवी से सम्बन्धित क्षेत्र

हमारे देश में कीवी से संबंधित क्षेत्र जैसे उत्तर प्रदेश , हिमाचल प्रदेश , अरूणाचल प्रदेश , मेघालय , सिक्किम , नागालैंड , उत्तराखंड , केरल ओर जम्मू – कश्मीर हैं। हमारे देश के अतिरिक्त भी कीवी की बागवानी जैसे चीन , जापान , आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड , अमेरिका , स्पेन , इटली , फ्रांस और चिली में भी बढ़े स्तर पर होती हैं।

कीवी की विभिन्न किस्मों के बारे में जानकारी

कीवी की विभिन्न किस्में हैं जिसमें प्रमुख रूप से मोंटी , एबॉट , ब्रूनो , हेवर्ड , एलीसन और टुमयूरी आदि हैं। इन किस्मों में से हेवर्ड किस्म की खेती हमारे देश में प्रमुख रूप से की जाती हैं।

कीवी की बागवानी के लिए मिट्टी , जलवायु तथा तापमान का निर्धारण

कीवी की बागवानी के लिए उपयुक्त मिट्टी गहरी दोमट होती हैं जिसमें अम्लीयता हल्की हों । मिट्टी का PH मान 5 से 6 के मध्य हों।कीवी के पेड़ की कलम लगाते समय सड़ी खाद , बलुई रेत , मिट्टी , कोयले का चूरा और लकड़ी का बुरा इन सभी को 2:2:1:1:1 की मात्रा में मिला देना चाहिए।
कीवी की बागवानी के लिए जलवायु ठंडी होना चाहिए क्योंकि तेज और उष्ण वायु कीवी को नुकसान पहुंचाती हैं। इस कारण से कीवी की खेती के लिए जनवरी का माह अच्छा माना जाता हैं।कीवी के पौधों के आसानी से विकास के लिए समुद्र के आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से ऊंचाई 1000 से 2000 मी. के मध्य होना चाहिए। पौधों को लगाते समय उपयुक्त तापमान 15°C हों और जब फल आने लगें तब तापमान 5 °C से 7°C के मध्य हो। गर्मी के मौसम में तापमान 30°C से कम ही होना चाहिए।

कीवी में लगने वाले रोग व समाधान

कीवी के पौधे मे सामान्यतः कोई विशेष रोग लगने की संभावना नहीं होती हैं किन्तु खेत में जल भरने की वजह से जड़े गलने की संभावना होती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए खेत में जल निकासी की व्यवस्था होना जरूरी हैं। इसके अतिरिक्त कीवी में क्राउन रॉट और कालर रॉट रोग कीवी की विकास में बाधा डालते हैं। कीवी में लगने वाले इन रोगों के समाधान के लिए जब पौधे में कली खिलने लगे उसके पहले ही कीटनाशक का छिड़काव करें।

कीवी की बागवानी में पौधे तैयार करने की प्रक्रिया

कीवी की खेती में पौधों को तैयार करने की सामान्य रुप से 3 विधि हैं जैसे ->

•बडिंग विधि
•ग्राफ्टिंग विधि
•लेयरिंग विधि

1) बडिंग विधिबडिंग विधि से कीवी का पौधे को तैयार करना उपयुक्त माना जाता हैं । बडिंग विधि में कीवी के फल से बीज निकालकर साफ कर लिया जाता हैं उसके पश्चात् उन्हें सुखाया जाता हैं। बीज को सुखाने के 7 से 8 दिन पश्चात् बीज को बोना चाहिए। जब पौधा तैयार किया जाता है तब बोने के बाद 1 सप्ताह तक बाहर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस पर तेज धूप या सीधी रोशनी नहीं पड़ना चाहिए। बुवाई के बाद खेत में क्यारियों पर मल्चिंग कर लें। जुलाई माह तक पौधे पर तेज धूप ना पड़ने दे पौधे पर छाया होना चाहिए । बुवाई के बाद जब पौधो पर पत्ते आने लग जाए तब रोपाई का कार्य करना चाहिए ।

2) ग्राफ्टिंग विधिइस विधि को कलम विधि भी कहते हैं।इस विधि द्वारा कीवी का पौधा तैयार करने का उचित समय जनवरी का माह हैं । ग्राफ्टिंग विधि से पौधे को तैयार करने के लिए 1 वर्ष पुरानी शाखाओं को 15 से 20 से.मी. की लम्बाई में काट लिया जाता हैं । इन शाखाओं में कलियां 2 से 3 होना चाहिए । कटी हुई शाखाओं पर 1000 PPM IB नामक रूट ग्रोथ हार्मोन लगा दें फिर इसे मिट्टी में लगा दिया जाता हैं। जब कलम को मिट्टी में लगा दिया जाता हैं तब इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कलम पर तेज धूप और सीधी रोशनी नहीं पड़ना चाहिए साथ ही कलम हिलना नहीं चाहिए। इस विधि द्वारा तैयार पौधों को रोपण के लिए तैयार होने में 1 वर्ष का समय लगता हैं।

3) लेयरिंग विधि लेयरिंग विधि में लेयर हटाकर पौधा तैयार किया जाता हैं।कीवी के पौधे की 1 वर्ष पुरानी शाखा लेकर इसके चारों ओर से 1 इंच छाल को हटा लेना चाहिए। इसके पश्चात् कलम 6के चारों तरफ मिट्टी जकड़ कर लगा दें जिससे की इसके अंदर हवा न जा सके। लगभग 1 माह के अंदर इसमें से नस्से निकलने लग जाते है तब इसको मुख्य पौधे से अलग कर लें और काट लें फिर दूसरी जगह लगाए।जब इसे काटे तब इस बात को जान लें कि मिट्टी बांधने वाली जगह से नीचे काटें और शाखा चिरनी नहीं चाहिए।

कीवी की खेती में पौधे की रोपाई और सिंचाई कैसे की जाए??

कीवी की बागवानी से हमें अच्छा उत्पादन मिले इसलिए किसान भाईयों को नर्सरी में लगा हुआ भरपुर गुणों से युक्त पौधा लगाना चाहिए । इन पौधों को लगाने का उचित समय बसंत ऋतु के प्रारंभ में होता हैं। पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का निर्माण करें और मिट्टी में मौजूद कीट और मकोड़े खत्म हो जाए इसलिए कुछ दिनों तक गड्ढों को ऐसे ही खुला रखें। गड्ढों में भरने के लिए गोबर से बनी खाद या फिर ट्रायकोडरमा मिश्रण वाली कम्पोस्ट खाद का उपयोग करें। खाद को गड्ढों में 25 से. मी. की ऊंचाई तक भरकर पौधों को लगाए और आसपास मिट्टी से अच्छी तरह से गड्ढों को भरें। पौधो की रोपाई कतारों में करना चाहिए। पौधों की रोपाई के लिए दूरी इस प्रकार हो कि पौधों के बीच की आपसी दूरी 6 मी.और कतारों की आपसी दूरी 3 मी. हों।
कीवी के पौधे के लिए सिंचाई पौधों के रोपण के बाद ही कर देना चाहिए। कीवी की बागवानी में सिंचाई के लिए ड्रिप या फव्वारा विधि का उपयोग करें। साथ ही अच्छे फल प्राप्त हो इसके लिए गर्मी के मौसम में कीवी की सिंचाई 3 से 4 दिन के मध्य में करना चाहिए।

कीवी की खेती में फल तोड़ने का कार्य

कीवी के पौधे लगाने के पश्चात् पेड़ से प्रारंभ में 2 से 3 वर्ष में फल प्राप्त नहीं होते हैं। कीवी के पेड़ पर लगभग 5 वर्ष बाद फल लगते हैं। कीवी के पेड़ से ज्यादा मात्रा में फल लगभग 10 वर्ष में मिलते हैं ।कीवी फल के पकने के बाद अक्टूबर से नवम्बर के माह में फलों को तोड़ने का कार्य करें। कीवी के प्रति पेड़ से लगभग 45 से 60 किलोग्राम तक फल प्राप्त होते हैं।कीवी के फल को तोड़ने के पश्चात् लगभग 4 महीने तक ठंडे स्थान पर फलों को भंडारित किया जा सकता हैं।

कीवी से प्राप्त उत्पादन और लाभ

कीवी की बागवानी से किसान भाई अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। कीवी के फल को लंबे समय तक रख सकते हैं इस कारण ही कीवी को अलग राज्यों में ले जाने में कोई हानि नहीं होती हैं। कीवी को तोड़ने के पश्चात् लगभग 3 से 4 महीने तक कीवी को ठंडे स्थान पर रखा जा सकता हैं।
कीवी से लाखों तक का मुनाफा मिल जाता हैं।कीवी की कीमत 40 से 60 रूपये तक होती हैं। कीवी फल का बाजार में भाव प्रति किलोग्राम से ना मिलकर प्रति टुकड़े के हिसाब से मिलता हैं। प्रति वर्ष किसान भाई कीवी से 10 से 20 लाख तक का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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