गन्ने की कटाई का कार्य : गन्ने की कटाई करते समय इन बातों का रखें ध्यान , होगा भरपूर मुनाफा

Rahul Patidar
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जानिए , गन्ने की कटाई का सही तरीका और महत्त्वपूर्ण बातें

गन्ने की खेती एक ऐसी खेती हैं जो प्रतिवर्ष मुनाफे में वृद्धि करती हैं।गन्ने की खेती वर्ष भर साधनों की उपलब्धता और मजदूरों की उपलब्धता से उचित तकनीक द्वारा सरलता पूर्व की जा सकती है।गेहूं , मक्का , सोयाबीन आदि की तुलना में गन्ने की फसल अधिक मुनाफा देती है।गन्ने की खेती करने वाले किसान भाई गन्ने की कटाई के समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि गन्ने का वजन कम ना हो और पर्याप्त मुनाफा प्राप्त हो सकें।यदि गन्ने की उचित तरीके से कटाई की जाए तब किसान मुनाफे में वृद्धि के साथ ही चीनी की रिकवरी कम होने से भी बचा सकते हैं।
गन्ने की कटाई की सही तकनीक की जानकारी नहीं होने से किसान भाई गन्ने की कटाई में लापरवाही करते हैं जिसका प्रभाव फसल पर होता है और उन्हें गन्ने की फसल का भाव कम प्राप्त होता हैं।किसान भाइयों को गन्ने की कटाई से संबंधित तकनीक की जानकारी होना आवश्यक हैं।आइए , मीडिया 1 द्वारा गन्ने की कटाई में ध्यान रखने वाली मुख्य बातों से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

कब करें गन्ने की कटाई??

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जब गन्ने की पत्तियां पीली हो जाए , कलियां फलने लग जाए और गन्ने की आंखे फूटने लगे , तब समझ लेना चाहिए कि गन्ना पूर्ण रूप से परिपक्व हो गया हैं।इस समय गन्ने की कटाई का कार्य किया जा सकता हैं।गन्ने का ब्रिक्स मान 19.5 से 22.5 के मध्य होना चाहिए।यदि किसी गन्ने का ब्रिक्स मान 18 से कम हो तब गन्ना पूर्ण रूप से पका नहीं हैं।गन्ने का ब्रिक्स मान 18 या इससे अधिक हो तब समझ लें कि गन्ना पूर्ण रूप से पक गया हैं।इससे लगभग 10% से 11% तक चीनी की रिकवरी की जा सकती हैं।ब्रिक्स मान की जांच रेफ्रेक्टोमीटर से कर सकते हैं।इस कार्य के लिए हैंड रेफ्रेक्टोमीटर ब्रिक्स या AR ब्रिक्स का प्रयोग किया जाता हैं।रेफ्रेक्टोमीटर एक ऐसा यंत्र हैं जिसकी सहायता से खेत में खड़े गन्ने की ब्रिक्स मान और उसकी गुणवत्ता की जांच की जा सकती हैं।

कैसे करें गन्ने की कटाई??

गन्ने की कटाई का कार्य कटिंग ब्लेड , तेज चाकू या कुल्हाड़ी से करना चाहिए।गन्ने की कटाई का कार्य कुशलता से करना चाहिए।गन्ने की कटाई हमेशा भूमि की सतह से करना चाहिए।गन्ने के ऊपरी भाग जहां तक गन्ने की गुल्लियां हैं वहां तक गन्ने की कटाई करना चाहिए। अपरिपक्व गांठों को हटाकर काटकर हटा देना चाहिए।इसके अतिरिक्त गन्ने की उचित सफाई करना चाहिए जैसे – कचरा , पत्तियां और जड़ें आदि बेकार भागों को हटा देना चाहिए।इस प्रकार गन्ने की कटाई उचित तरीके से करके गन्ने की अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती हैं।गन्ने की कटाई यदि अनुचित तरीके से की जाती हैं तब गन्ने और चीनी के उत्पादन में कमी आती हैं और गन्ने के रस की गुणवत्ता भी खराब होती हैं साथ ही मिलिंग में भी समस्या आती हैं।इसके अतिरिक्त गन्ने की अगली पेड़ी फसल में उत्पादन कम होने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता हैं।इसके लिए किसान भाई गन्ने की कटाई में विशेष ध्यान रखें।

गन्ने की कटाई में यांत्रिक हार्वेस्टर का करें प्रयोग

गन्ने की कटाई का कार्य यदि किसान भाई श्रमिकों से नहीं करा कर मशीन की सहायता से करना चाहते हैं तो इसके लिए यांत्रिक हार्वेस्टर (Mechanical Harvester) का प्रयोग करें।यांत्रिक हार्वेस्टर मशीन से गन्ने की कटाई का कार्य कम समय और श्रम में किया जा सकता हैं।गन्ने की कटाई का कार्य मशीन से करने पर होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।गन्ने की यांत्रिक हार्वेस्टर मशीन से लगभग 2.5 से 4 हैक्टेयर तक गन्ने की कटाई लगभग 8 घंटे में की जा सकती हैं।गन्ने की कटाई की यांत्रिक हार्वेस्टर मशीन गन्ने के पत्तेदार हिस्से को ऊपर से काट देती हैं और गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देती हैं।गन्ने के टुकड़ों को हार्वेस्टर बॉक्स से खींच लिया जाता हैं।

गन्ने की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

गन्ने की कटाई के कार्य में किसान भाई कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें जिससे गन्ने की फसल में नुकसान ना हो और चीनी की रिकवरी दर कम ना हों।गन्ने की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं-

  • गन्ने की कटाई की तकनीक ऐसी होनी चाहिए जिससे उत्पादित गन्ने की अधिक मात्रा को भूमि की सतह तक काटा जा सके और गन्ने की उचित सफाई करना चाहिए जैसे – कचरा , पत्तियां और जड़ें आदि बेकार भागों को हटा देना चाहिए।
  • गन्ने की कटाई समय पर करना चाहिए जिससे अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके।यदि उत्तर भारत में गन्ने की खेती की गई हो तब बसंत ऋतु के प्रारंभ में बुवाई की गन्ने की फसल की कटाई 10 माह में और शरद ऋतु में बुवाई की गन्ने की फसल की कटाई 15 माह में करना चाहिए।इसके अतिरिक्त गन्ने की पछेती किस्म की बुवाई में गन्ने की कटाई 12 माह के पश्चात् करना चाहिए।
  • गन्ने की खेती में गन्ने की पत्तियां पीली हो जाए , कलियां फलने लग जाए और गन्ने की आंखे फूटने लगे , तब समझ लेना चाहिए कि गन्ना पूर्ण रूप से परिपक्व हो गया हैं।गन्ने की कई किस्म में इस प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।यदि सिंचाई का पानी लगाया जाए तब फसल हरी-भरी दिखाई देगी।
  • गन्ने की खेती में गन्ने के पके हुए बेंतो को थपथपाने पर एक प्रकार की धात्विक ध्वनि उत्पन्न होती हैं।जब पूर्ण रूप से पके हुए गन्ने को तिरछा काटा जाता है तब उसे सूर्य के सामने रखा जाता हैं जिसमे चीनी के क्रिस्टल को चमकते हुए देखा जा सकता हैं।
  • गन्ने की खेती में गन्ने के कटे हुए गन्नों को कूड़े से ढक कर छाया में रखने से शर्करा के संचय की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता हैं ताकि वजन में कमी ना हों।
  • गन्ने की खेती में यदि किसी कारणवश गन्ने को खेत में रखना पड़े तब इसे पत्तों से ढंक कर धूप से दूर रखें और गन्ने पर पानी का हल्का छिड़काव करते रहें जिससे गन्ना अंदर से ना सुखें।

इस प्रकार गन्ने की कटाई करते समय इन सभी बातों का ध्यान रखकर किसान भाई पैदावार में वृद्धि के साथ ही चीनी की रिकवरी दर में भी वृद्धि कर सकते हैं और गन्ने की फसल से अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

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