धान की खेती की उन्नति विधियां और उनसे होने वाले लाभ और नुकसान
हमारे देश में धान की खेती पर राज्य में की जाती है जैसे पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु , केरल , असम , उड़ीसा और आंध्र प्रदेश आदि। ये सभी राज्य देश में धान के कुल उत्पादन का 80% हिस्सा देते हैं। देश में सबसे ज्यादा धान का उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है इसके पश्चात आंध्रप्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार , पंजाब और छत्तीसगढ़ में धान की खेती प्रमुख रूप से होती है। हमारे देश की लगभग 65% जनसंख्या धान पर निर्भर है। धान की खेती के लिए अधिकतम पानी की जरूरत होती है किंतु पाने की कमी के कारण वर्तमान में धान की खेती कम होने लगी है। यहां तक कि हरियाणा की सरकार में तो धान की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए इनपुट अनुदान योजना भी चला रखी है ताकि किसान भाई धान की खेती को ना छोड़े। आज के समय में भूमि जल स्तर में लगातार कमी देखने को मिल रही है और बारिश भी अल्प होने लगी है ऐसे में पानी का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। क्योंकि धान की खेती के लिए अधिकतम पानी की आवश्यकता होती है जैसे 1 किलो धान के लिए 2500 से 3000 लीटर पानी की जरूरत होती है। इस स्थिति में जहां पानी की कमी होती है वहां किसान भाई धान की फसल उगाने की जगह पर अन्य फसल उगाने पर ध्यान देते हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने धान की खेती के लिए विशेष ध्यान दिया है। किसान भाई धान की खेती के लिए उचित समय और धान के लिए उन्नत विधियो के बारे में जानिए ।
धान की खेती के लिए उचित समय क्या है??
धान की फसल में धान के पौधे तैयार करने का कार्य मई के पहले सप्ताह से कर लेना चाहिए और इसकी नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए इसके पश्चात धान की रोपाई के लिए उचित समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के तीसरे सप्ताह तक होता है किसानों द्वारा यदि सही समय पर धान के पौधे बुवाई के लिए तैयार कर लिए जाते हैं इसकी रोपाई का कार्य काफी सरल हो जाता है। धान की विभिन्न किस्में है इसलिए इस की नर्सरी तैयार करने का समय भी अलग-अलग है आइए , इसके बारे में चर्चा करें।
•धान की बासमती किस्मों के लिए नर्सरी का समय – जून का पहला सप्ताह
•धान की हाइब्रिड किस्मों के लिए नर्सरी लगाने का समय – मई के दूसरे सप्ताह से पूरे जून तक
•धान की मध्यम हाइब्रिड किस्म के लिए नर्सरी का समय – मई का दूसरा सप्ताह
धान की बुवाई के लिए उन्नत विधियां
धान की सीधी बुवाई विधि
किसान भाई यदि कंपनी में धान की अच्छी पैदावार चाहते हैं तो धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। धान की सीधी बुवाई हुई थी उस क्षेत्र में उपयोगी साबित होती है जहां सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त नहीं होता है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य में धान की बुवाई के लिए यह विधि काफी अपनाई जाती है और साथ में सरकार भी किसानों को धान की बुवाई के लिए इस विधि को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। धान की सीधी बुवाई करने के लिए जीरो टील ड्रिल का उपयोग काफी अच्छा माना जाता है लेकिन जिन खेतों में फसल के अवशेष होते हैं वहां पर रोटरी डिस्क ड्रिल उपयोग कर धान की बुवाई करना अच्छा होता है। 9 जीरो टिल ड्रिल मशीन से 1 एकड़ भूमि में धान की सीधी बुवाई करने के लिए 1 घंटे का समय लगता है। ध्यान रहे कि खेत में पर्याप्त नमी होना चाहिए और यदि खेत में नमी ना हो तो बुवाई से पूर्व सिंचाई अवश्य कर लेना चाहिए
कैसे करें जीरो टिल ड्रिल मशीन से बुवाई
धान की बुवाई के लिए प्रमाणित बीज का उपयोग करना चाहिए। बुवाई से पूर्व बीज को उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए 1 किलोग्राम बीजों में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम की मात्रा को मिलाकर लगभग 2 घंटे तक बीजों को छांव में रखें और सूखने के बाद ड्रिल मशीन द्वारा बुवाई करें।धान की सीधी बुवाई में प्रति हेक्टेयर 45 से 50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज की जमा क्षमता 85 से 90% होना चाहिए और यदि अंकुरण क्षमता कम हो तो बीज दर को बढ़ा दे।
धान की SRI विधि
धान की बुवाई के आधुनिक विधि SRI विधि है। उनकी इस विधि में सबसे पहले 70% मिट्टी , 20%वर्मी कंपोस्ट खाद और 10% रेत या भूसा लेकर इनको मिलाएं। इस मिश्रण के पश्चात प्लास्टिक की पॉलीथिन बिछाकर इस मिश्रण से क्यारियां तैयार की जाती है और इस के बाद बीजों को बारिक परत से ढक दिया जाता है ध्यान रहे इस में नमी होना चाहिए यदि नमी का अभाव हो तो इसमें पानी दिया जाता है। धान की इस विधि से लगभग 8 से 12 दिनों के बाद पौधे तैयार हो जाते हैं पौधों की रोपाई के लिए के के पौधे में जब दो पत्तियां आने लगे तब इसकी रोपाई कर सकते हैं।
धान की रोपाई का कार्य
धान की SRI विधि से तैयार किए गए पौधों की रोपाई करने से पूर्व नर्सरी में सिंचाई कर देना चाहिए ताकि पौधे सरलता पूर्वक निकल सके। नर्सरी से निकाले गए पौधे में जड़ों से मिट्टी को हटा दें या मिट्टी को धोकर साफ कर ले अब इसको उपचारित करने के लिए 1 लीटर पानी में 75% डब्ल्यूपी की मात्रा लेकर इस मिश्रण को पौधों की जड़ों में 20 मिनट तक भिगोकर रखें। उपचारित पौधों की खेतों में रोपाई कर दें रोपाई के लिए दूरी इस प्रकार रखें…..
क्यारियों की आपसी दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधों की आपसी दूरी 10 सेंटीमीटर होना चाहिए। धान की खेती में रोपाई करते समय एक ही जगह पर 2 से 3 पौधे लगाने चाहिए और यदि की रोपाई के लिए किसी कृषि यंत्र का उपयोग कर रहे हैं तो इसके लिए क्यारियों को 1.2×10 मीटर रखें। उसके पश्चात इन क्यारियों में धान की बुवाई करें।