चुकन्दर (Beetroot Farming) की खेती क्यों करना चाहिए??
चुकन्दर एक लाभदायक फल है। चुकन्दर की खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं । चुकंदर के सेवन से खून बहुत जल्दी बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा एनीमिया के मरीजों को चुकंदर खाने की सलाह दी जाती है।जैसे ही कोई मरीज चुकंदर खाना शुरू करता है उसका खून तेजी से बनना प्रारम्भ हो जाता है । इन्हीं कारणों से चुकंदर को औषधि माना जाता है । चुकंदर खाने के दो तरीके हैं इसे कच्चा भी खाया जा सकता है और साथ ही इसका रस बनाकर भी पिया जा सकता है ।दोनों ही रूप में यह लाभदायक होता है। अधिकतर लोग चुकंदर का ज्यूस बनाकर पीते हैं। लोगों द्वारा अधिकतर इस्तेमाल किए जाने के कारण बाजार में मांग बनी रहती है इसकी अच्छी कीमत किसानों को मिल जाती है। चुकंदर की खेती से अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए अच्छी किस्मों का चयन करना आवश्यक है । इस बारे में हम किसान योजना के माध्यम से जानेंगे ।
आइए , चुकंदर में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में चर्चा करें
चुकंदर में पोषक तत्व की बात करें तो चुकंदर में बहुत मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं सुंदर का सेवन सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है । इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं
इसे कैल्शियम , सोडियम , पोटैशियम , मैग्नीशियम , फास्फोरस , आयरन डाइटरी , फाइबर , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , वसा , विटामिन C , विटामिन B6 , थायमिन और राइबोफ्लेविन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
चुकंदर की 7 उन्नत किस्मों के बारे में जानिए
चुकंदर की विभिन्न किस्में है चुकंदर की इन किस्मों से अच्छा उत्पादन और मुनाफा कमाया जा सकता है इनमें से कुछ उन्नत किस्मों के बारे में हम चर्चा करेंगे। ये उन्नत किस्में इस प्रकार
(1) क्रिमसन ग्लोब किस्म..
चुकंदर की क्रिमसन ग्लोब किस्म आकार में मध्यम प्रकार की होती है। क्रिमसन ग्लोब किस्म का छिलका लाल रंग का होता है और जड़े मध्यम प्रकार की होती है। इसके पत्ते चमकदार होते हैं और इन पत्तों का रंग हरा होता है। इस किस्म से प्रति एकड़ 80 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त होता है।
(2) कलश एक्शन किस्म..
चुकंदर की कलश एक्शन किस्म में कंद का वजन 100 से 150 ग्राम होता हैं। इस किस्म में फल का रंग गहरा लाल होता हैं और ये दिखने में आकर्षक लगते हैं।चुकंदर की कलश एक्शन किस्म की बुवाई हम तीनों सीजन खरीफ , रबी, और जायद में कर सकते हैं। इस किस्म को पकने में लगभग 50 से 55 दिन का समय लगता हैं। इस किस्म से प्रति एकड़ 200 से 250 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है।
(3) शाइन रेडबॉल किस्म..
चुकंदर की शाइन रेडबॉल किस्म में कंद का वजन 150 से 180 ग्राम होता हैं साथ ही कंद का रंग गहरा लाल और आकार गोल होता हैं।शाइन रेडबॉल किस्म में पौधे की जो ऊंचाई होती हैं वो लगभग 30 से 32 सें.मी. होती है।चुकंदर की शाइन रेडबॉल किस्म की बुवाई हम तीनों सीजन खरीफ , रबी, और जायद में कर सकते हैं।इस किस्म को पकने में लगभग 50 से 60 दिन का समय लगता है।
(4) अर्ली वंडर किस्म..
चुकदर की अर्ली वंडर किस्म का रंग अंदर से लाल होता हैं और इसके पत्ते का रंग हरा होता हैं। इस किस्म में जड़ें आकार में चिपटी होती हैं और जड़ों की सतह लाल और चिकनी होती हैं।इस किस्म को पकने में लगभग 55 से 60 दिन का समय लगता है। इस किस्म से प्रति एकड़ सामान्य किस्म से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
(5) इंदम – रूबी किस्म..
चुकंदर की इंदम – रूबी किस्म में कंद का वजन लगभग 200 ग्राम होता हैं साथ ही कंद का रंग लाल और आकार गोल होता हैं ।इस किस्म को रबी और खरीफ दोनों सीजन में उगाया जा सकता है। इसके पौधे की ऊंचाई एक फीट तक होती है।इंदम – रूबी किस्म में पौधे की जो ऊंचाई होती हैं वो लगभग 1 फीट तक होती है। चुकंदर की इंदम – रूबी किस्म की बुवाई हम दो सीजन खरीफ और रबी में कर सकते हैं। इस किस्म को पकने में लगभग 55 दिन के अंदर का समय लगता है।चुकंदर की इंदम – रूबी किस्म से अधिक उत्पादन प्राप्त होता हैं।
(6) अशोका – रेडमेन किस्म..
चुकंदर की अशोका – रेडमेन किस्म में कंद का वजन 150 से 180 ग्राम होता हैं साथ ही कंद का रंग लाल और आकार गोल एवं तिरछा होता हैं तथा कंद चिकने होते है।चुकंदर की अशोका – रेडमेन किस्म में बीच के शीरे का रंग गुलाबी होता हैं और इसके पत्ते का आकार चौड़ा होता हैं।अशोका – रेडमेन किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। चुकंदर की अशोका – रेडमेन किस्म की बुवाई हम तीनों सीजन खरीफ , रबी, और जायद में कर सकते हैं। इस किस्म को पकने में लगभग 65 से 70 दिन तक का समय लगता है।
(7) मिश्र की क्रास्बी किस्म..
मिश्र की क्रास्बी किस्म में फल का रंग अंदर से गहरा बैंगनी लाल होता हैं। इस किस्म में जड़ें आकार में चिपटी होती हैं और जड़ों की सतह चिकनी होती हैं। इस किस्म को पकने में लगभग 50 से 60 दिन तक का समय लगता है।
चुकंदर की खेती में उन्नत किस्मों की बुवाई कैसे की जाए??
चुकंदर की बुवाई दो तरीकों से की जा सकती है जाती है। ये दो तरीके इस प्रकार हैं जैसे :
(1) मेड विधि – मेड विधि में चुकंदर की बुवाई के लिए ऊंची मेड या बेड ऊंची मेड या बेड बनाया जाता है इन मेड़ों को 10 इंच की दूरी पर बनाया जाता हैं। मेड़ों पर 3 – 3 इंच की दूरी पर बीजों को बोया जाता हैं। इसकी खास बात यह हैं कि इसमें बीज कम मात्रा में लगते हैं और साथ ही इसमें सिंचाई और निराई – गुड़ाई आसानी से हो जाती हैं।
(2) छिटकवां विधि –छिटकवां विधि में बीजों को बोने के लिए पहले क्यारियों का निर्माण किया जाता हैं ।क्यारियों में बीजों का छिड़काव कर दिया जाता हैं। इस विधि में लगभग प्रति एकड़ 4 कि.ग्रा. बीज लगते हैं।इन बीजों का अंकुरण खाद और मिट्टी द्वारा हो जाता हैं।